अंबिकापुर. सरगुजा जिले के 20 से अधिक स्कूलों के भवन व अतिरिक्त कक्ष का निर्माण 12-15 साल से इसलिए अटका है क्योंकि इसके लिए सरकार द्वारा दिए गए रुपए पंचायत के सरपंच सचिवों ने हड़प लिए। उनसे वसूली की कार्यवाही अब तक पूरी नहीं हुई है। सरगुजा में ऐसे दो सौ से अधिक मामले थे लेकिन अब भी 20 मामलों का निपटारा नहीं हुआ है। यही वजह है कि मैनपाट ब्लाक में 35 साल पुराना एक ऐसा प्राथमिक स्कूल है जिसका बिल्डिंग अब तक नहीं बन सका है और बच्चे एक पत्थर से जोड़कर तैयार घासफूंस के छत वाले एक कमरे में पढ़ने में मजबूर हैं। जहां न बैठने की जगह है न ब्लैक बोर्ड रखने की लेकिन मजबूर बच्चे पढ़ रहें हैं। इसके पीछे भ्रष्टाचार की कहानी है, स्कूल बिल्डिंग के लिए 14 साल पहले ग्राम पंचायत के सरपंच सचिव के खाता में 2.17 लाख रुपए भेजा गया लेकिन उस पैसे क़ो बिना काम कराये ही सरकारी खाता से निकालकर जिम्मेदार खा गए। इसकी सजा अब बच्चे भुगत रहें हैं। सरईकिरचा स्थित प्राथमिक शाला में 35 स्टूडेंट है। यहां 90 प्रतिशत आदिवासी बच्चे हैं लेकिन स्कूल बिल्डिंग के अभाव में शिक्षक एक व्यक्ति द्वारा बनवाए गए अधूरे मकान में स्कूल लगा रहें हैं। बरसात के दिनों में तो स्कूल बंद करने की नौबत आ जाती है क्योंकि घासफूंस से बने निजी अधूरे बिल्डिंग में बच्चे भीगने लगते हैं, ऐसे में पढ़ाई नहीं हो पाती। इससे पहले शिक्षक आंगनबाडी में स्कूल लगाते थे लेकिन वहां भी जगह कम मिला। इसकी जानकारी डीईओ संजय गुहे और सभी अफसरों क़ो है लेकिन बिल्डिंग बनाने कोई पहल नहीं की जा रही है। हद तो यह है कि 2006 में यहां महिला सरपंच थीं और अब उनके पति सरपंच हैं। तत्कालीन सरपंच पर रिकवरी का केस चल रहा है लेकिन जिम्मेदार अफसर अब तक न तो तत्कालीन सरपंच सचिव से रिकवरी कर सके और न ही भवन बनवा सके। जबकि निर्माण के लिए 50 प्रतिशत की पहली किश्त ही दी गई थी और आधा राशि निर्माण के बाद दिया जाता।

शिक्षा व्यवस्था की यह बदहाली उस मैनपाट में है, कहां पर्यटन के लिहाज से करोड़ों खर्च किया जा रहा है, देश भर के पर्यटक यहां आते हैं। मैनपाट महोत्सव में नेता मंत्री मैनपाट के विकास पर बड़ी बातें करते हैं। जहां सभी सरकारी विभाग विकास क़ो दिखाने के लिए स्टाल लगाते हैं लेकिन मैनपाट की जमीनी सच्चाई शर्मिंदा करती है।

मैनपाट के ही चोरकी पानी में स्थित मीडिल स्कूल का संचालन 2007 से हो रहा है, भवन नहीं बना है, इसके कारण प्राथमिक स्कूल भवन में अध्ययन अध्यापन कराया जा रहा था लेकिन उस भवन क़ो भी हाथियों ने तोड़ दिया, इसके बाद स्कूल के 21 स्टूडेंट अब वहां आंगनबाडी भवन में बैठकर पढ़ते हैं। इस स्कूल के भवन के लिए स्वीकृति मिली थी लेकिन लापरवाही से इसका भी निर्माण नहीं हुआ।

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