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बलरामपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मासिक रेडियोवार्ता लोकवाणी की 23वीं कड़ी को जिलेवासियों ने उत्साहपूर्वक सुना। ’’उद्यमिता और जनसशक्तिकरण का छत्तीसगढ़ मॉडल’’ विषय पर बात करते हुए उन्होंने प्रदेशवासियों से कहा कि आजीविका के साधन को मजबूत करने और जनता के हाथों में स्वाभिमान से लेकर आर्थिक ताकत सौंपने की जो रणनीति अपनाई, वही छत्तीसगढ़ मॉडल के रूप में हमारी पहचान बनी है।मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि विभिन्न जनहितकारी योजनाओं के जरिए किसानों, वन आश्रितों, मजदूरों, महिला समूहों और युवाओं की जेब में जो अस्सी हजार करोड़ रूपए डीबीटी के माध्यम से डाले उस राशि को हमारे भाइयों-बहनों और युवा साथियों ने तिजोरी में बंद करके नहीं रखा बल्कि उससे नए-नए काम किए, अपनी जरूरत की खरीदी की। सबने मिलकर प्रदेश की अर्थव्यवस्था की तरलता को बनाए रखा। प्रदेश में नए-नए तरह के काम-धंधे भी चले और परंपरागत कौशल, परंपरागत रोजगार के अवसरों को नई दिशा भी मिली।मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के विकास के परम्परागत मॉडल, पंडित नेहरू के आधुनिक मॉडल, इंदिरा गांधी के दृढ़ इच्छाशक्ति के मॉडल और राजीव गांधी के टेक्नोलॉजी से बदलाव के मॉडल से प्रेरणा लेकर छत्तीसगढ़ में खेती-किसानी की तस्वीर बदलने, गांवों में नए संसाधनों से, नई तकनीक से खेती करने और परंपरागत आजीविका में सुधार की जो पहल की गई है, उसको सफलता मिली। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़िया अभिमान और स्वाभिमान को पुनर्जीवित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए गए है। हरेली, तीजा-पोरा, कर्मा जयंती, विश्व आदिवासी दिवस और छठ पूजा पर सार्वजनिक अवकाश से जनजीवन में सकारात्मक संदेश पहुंचा है। छत्तीसगढ़ आज भी कृषि की बहुलता वाला प्रदेश है, यहां की माटी में नई फसल के साथ दान का महत्व भी समाहित है, इसलिए छेरछेरा पुन्नी-शाकंभरी जयंती के लिए अवकाश की घोषणा की गई है। उन्होंने कहा कि हमारा छत्तीसगढ़ सर्वधर्म समभाव का गढ़ बना है। सामाजिक समरसता और सभी धर्मों में एकता हमारी ताकत है और उसे बनाए रखने के लिए, सबका सम्मान बनाए रखने के लिए, हम सबको मिल जुलकर प्रयास करना है।

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