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बलरामपुर। बलरामपुर जिला में सर्व आदिवासी समाज के जिला अध्यक्ष पद को लेकर विवाद शुरू हो गया है। 13 जनवरी को बसंत कुजूर ने एक बैठक कर खुद को समाज का जिला अध्यक्ष मनोनीत होना बताया था लेकिन अब समाज के जिला अध्यक्ष चंद्रशेखर पोर्ते ने कहा है कि वे उन्हें जिला अध्यक्ष नहीं मानते हैं। उन्होंने कहा कि 13 जनवरी को अर्दली के साथ कलेक्टर द्वारा मारपीट मामले पर अर्दली से पूछताछ करने का एजेंडा था लेकिन बैठक में बियार समाज के प्रदेश अध्यक्ष अनिल बियार ने कहा कि कोर कमेटी को जिला कार्यकारणी गठन का अधिकार है और राज्य समिति से निर्देश हैं। जबकि जिला स्तर पर कोर कमेटी का गठन ही नहीं किया गया है। इसके बारे में ब्लाक अध्यक्ष व अन्य पदाधिकारियों को जानकारी ही नहीं है। इसकी जानकारी न तो अध्यक्ष को था न ही उपाध्यक्ष को। यह जानकारी देते हुए अध्यक्ष चंद्र शेखर पोर्ते ने खंडन प्रस्ताव जारी किया है और कहा है कि 31 दिसम्बर को जो पदाधिकारी चुने गए हैं वही वैध है और 13 जनवरी को गठित कार्यकारिणी को गलत व अनैतिक मानते हुए अस्वीकार करते हैं। बता दें कि 13 जनवरी को बसंत कुजूर को समाज का अध्यक्ष बनाए जाने की जानकारी दी गई थी, बसंत कुजूर पर आदिवासी समुदाय के लोगों ने जमीन का पट्टा दिलाने के नाम पर अवैध तरीके से पैसे लेने का आरोप लगाया था और कलेक्टर व एसपी से शिकायत की थी।

जिला अध्यक्ष ने क्या कहा


समाज के जिला अध्यक्ष चंद्रशेखर पोर्ते ने बताया कि बसंत कुजूर को 31 दिसम्बर को जिला अध्यक्ष बनाया जा रहा था लेकिन उन्होंने पद लेने से इंकार किया। इसके बाद लोगों ने मुझे बनाया। उन पर वसूली का आरोप था इसलिए उन्हें लोग पसंद नहीं करते हैं। उन्होंने अवैध तरीके से बियार समाज के अध्यक्ष के कहने पर एजेंडा रखकर खुद को अध्यक्ष बनाया तब कोई भी ब्लाक अध्यक्ष नहीं थे।

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