भाजपा सरकार का भ्रष्टाचार मुक्त शासन_प्रशासन का दावा कितना सच है.?? बता पाएंगे विधायक..


रायगढ़: एतिहासिक मतों से विधानसभा रायगढ़ का चुनाव जीतकर वित्तमन्त्री बनने वाले लोकप्रिय विधायक ओम प्रकाश चौधरी ने रायगढ़ क्षेत्र के विकास के लिए जहां एक तरफ करोड़ो रुपए दिए जाने की घोषणाएं की है,तो वहीं दूसरी तरफ हाल ही में रायगढ़ विधायक और वित्त मंत्री ओ.पी.चौधरी ने अपने स्वेच्छानुदान मद से 2172 जरूरतमंद हितग्राहियों को 66 लाख 8 हजार रुपए की राशि भी जारी की है। जिसमें से छात्रों को पढ़ाई-लिखाई में सहयोग के साथ ही अन्य हितग्राहियों को स्व-रोजगार और इलाज में मदद का विवरण दिया गया है। बताया जा रहा है कि स्वेच्छानुदान मद से जारी यह राशि छात्रों और अन्य सभी हितग्राहियों के खातों में अंतरित भी कर दी गई है। राशि अंतरण के बाद कई समाचार पत्रों और न्यूज पोर्टलो में विधायक महोदय के पक्ष में सकारात्मक खबरें भी छापी गई थी।   

हालाकि स्वेच्छा अनुदान की जो सूची मिली है,उसे लेकर नया सवाल उत्पन्न होता दिख रहा है। उसके अनुसार लोगों के बीच यह चर्चा शुरू हो गई है कि,कि क्या वाकई स्वेच्छा अनुदान की राशि सिर्फ पात्र लोगों को ही प्रदान की गई है? या विधायक या वित्त मंत्री के नजदीकियों को ध्यान में रखकर राशि वितरण में बंदर बांट  किया गया है। सूची में कुछ ऐसे नाम सामने आए है जो अवलोकनीय है। इन्हे उच्च शिक्षा के लिए स्वेच्छा अनुदान राशि से 3/3 हजार रु दिए जाने के पीछे कारण किसी को समझ नही आ रहा हैं।


क्या है नियम
सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) से जारी स्वेच्छा अनुदान नियम 2019 के अनुसार मुख्यमंत्री और मंत्री इस मद से न्यूनतम दो हजार रुपये स्वीकृत कर सकते हैं। वहीं, मुख्यमंत्री किसी एक व्यक्ति या संस्था को अधिकतम पांच लाख रुपये जबकि मंत्री 40 हजार रुपयेे तक दे सकते हैंं। वहीं राशि स्वीकृति की जानकारी भी सरकार को देना जरूरी होता है।

स्वेच्छानुदान नियम में इस बात की स्पष्ट व्यवस्था की गई है कि किसी भी व्यक्ति या संस्था को स्वेच्छा अनुदान स्वीकृत किए जाने की जानकारी मुख्य लेखाअधिकारी, जीएडी और वित्त विभाग के साथ ही अन्य विभागों को भी अनिवार्य रूप से भेजी जाएगी। ऐसा इस वजह से किया गया है ताकि कोई व्यक्ति एक से अधिक मंत्री से स्वेच्छा अनुदान स्वीकृत न करा सके। इन्हें नहीं दे सकते स्वेच्छानुदान से राशि।स्वेच्छानुदान की राशि कुछ विशेष तरह की संस्थाओं को नहीं दिया जा सकता। नियम के अनुसार विशुद्ध राजनैतिक और धार्मिक संस्था को इस मद से राशि नहीं दी जा सकती। स्वेच्छानुदान से खेलकूद, शिक्षा, कला, विज्ञान, ईमानदारी, वीरता, चिकित्सा, निराश्रित, दिव्यांग, कन्या विवाह, अनाथ और बच्चों की पढ़ाई आदि के लिए राशि दी जा सकती है।

राशि वितरण की इस सूची को लेकर हमने दो पृथक विचार धाराओं वाले छात्रों से बाद की जिसमें एक एन.एस.यू.आई. से जुड़ा छात्र है तो दूसरा ए.बी.वी.पी. का सक्रिय सदस्य है।

सूची के कुछ चिन्हांकित नामों को लेकर nsui के छात्र का कहना है “ईमानदारी की बात करना और और धरातल में उसका पालन करना दो अलग_अलग बातें है। माननीय मंत्री जी ही ये बता सकते है,कि वो किस तरह के व्यक्ति है। स्वेच्छा अनुदान राशि का वितरण उनकी जानकारी में हुआ है या नहीं। अथवा राशि सही में पात्र लोगों को ही वितरित की गई है या पार्टी समर्थकों को प्रामिकता दी गई है।

इधर एबीवीपी से जुड़े एक छात्र ने बताया राशि वितरण की जिम्मेदारी समान्य प्रशासन की है। मंत्री जी एक_एक व्यक्ति को जानते पहचानते है यह कहना सही नहीं होगा। जो नाम प्रशासन ने चेक करके उनके पास भेजे होंगे, उसे उन्होंने स्वीकृति दे दी होगी। रही बात स्वेच्छा अनुदान राशि में बंदरबाट की, तो कांग्रेस के शासन काल में भी बड़े पैमाने पर यह कृत्य किया गया था। तब आप लोगों ने तत्कालीन कांग्रेसी विधायक और मंत्रियों से ऐसा सवाल क्यों नहीं पूछा था??

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