मध्य प्रदेश : में विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision—SIR) के पहले चरण का काम पूरा हो चुका है और चुनाव आयोग मंगलवार को प्रारंभिक मतदाता सूची जारी करने जा रहा है। इसी बीच SIR पर उमंग सिंघार ने गंभीर सवाल खड़े किए हैं। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार का कहना है कि इस प्रक्रिया में लाखों लोगों के नाम मतदाता सूची से काटे जा रहे हैं, जबकि वे न तो घुसपैठिए हैं और न ही विदेशी, बल्कि मध्य प्रदेश के वास्तविक नागरिक हैं। उन्होंने इसे किसी राजनीतिक दल का नहीं, बल्कि जनता के मताधिकार का सीधा सवाल बताया।

उमंग सिंघार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो पोस्ट कर कहा कि उन्होंने इस मुद्दे पर एक महीने पहले भोपाल में प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। उस समय उन्होंने अंदेशा जताया था कि प्रदेश में 25 से 50 लाख मतदाताओं के नाम कट सकते हैं। अब जो आंकड़े सामने आने वाले हैं, वे उसी ओर इशारा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 2003 की मतदाता सूची में दर्ज नामों को ही आधार माना जा रहा है, जबकि समय के साथ कई लोग घर बदल चुके हैं, किरायेदार नई जगहों पर शिफ्ट हो गए हैं और कई लोग जरूरी दस्तावेज पेश नहीं कर पाए।

SIR पर उमंग सिंघार ने यह भी सवाल उठाया कि जब आधार कार्ड के जरिए किसी व्यक्ति की पहचान और निवास की पुष्टि की जा सकती थी, तो फिर उसका उपयोग प्रभावी ढंग से क्यों नहीं किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि आधार को सूची में तो रखा गया, लेकिन उसके आधार पर सही पुनरीक्षण नहीं हुआ।

इसके साथ ही सिंघार ने डेटा सुरक्षा को लेकर भी चिंता जताई। उन्होंने पूछा कि मतदाता डेटा का ड्राफ्ट किन एजेंसियों को दिया जाएगा और क्या चुनाव आयोग के पास अपने सर्वर और संसाधन पर्याप्त हैं। उन्होंने आशंका जताई कि नाम जोड़ने-घटाने की प्रक्रिया में गड़बड़ियां हो सकती हैं। अंत में उन्होंने कहा कि जब घुसपैठियों की बात की जा रही है, तो यह स्पष्ट किया जाए कि वे आए कहां से—बांग्लादेश या पाकिस्तान से?

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