सूरजपुर: अप्रैल से जून महीने के बीच में लू और अत्यधिक गर्मी की स्थिति के लिए भारत मौसम विभाग द्वारा अलर्ट जारी किया गया है। मैदानी क्षेत्र में जब भी तापमान 40 डिग्री या उससे अधिक हो जाता है तब लू या हीट वेव का असर दिखने लगता है। मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक जब कभी मैदानी इलाकों का अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक और पहाड़ी क्षेत्रों का तापमान 30 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है तो लू चलने लगती है और यह स्वास्थ्य पर बुरा असर डालती है।

लू से उत्पन्न होने वाले मुख्य खतरे– गर्मी से थकावट और लू लगना, पर्याप्त पानी न पीना, शरीर का ज्यादा गरम होना, जो उन लोगों के लिए लक्षणों को बदतर बना सकता है जिन्हें पहले से ही दिल या सांस लेने में समस्या है, सिर दर्द होना, उल्टी आनी, तेज पसीना और झटका जैसा अनुभव होना, चक्कर आना, मांसपेशियों में ऐंठन होना। लू किसी को भी प्रभावित कर सकती है, लेकिन सबसे अधिक असुरक्षित वृद्ध लोग विशेष रूप से 75 वर्ष से अधिक उम्र के लोग और महिलाएं जो अकेले या किसी देखभाल गृह में रहते हैं वे लोग जिन्हें हृदय या फेफड़ों की स्थिति, मधुमेह , गुर्दे की बीमारी या कुछ मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों सहित कोई गंभीर या दीर्घकालिक बीमारी है जो लोग कई दवाएँ ले रहे हैं, उन पर गर्म मौसम का बुरा प्रभाव पड़ने की संभावना अधिक हो सकती है

लू से बचाव के लिए– साफ पानी ज्यादा पिये ताकि शरीर में पानी की कमी से होने वाली बीमारी से बचा जा सकें। हल्के, दीले ढाले सूती वस्त्र पहनें ताकि शरीर तक हवा पहुंचे और पसीने को सोख कर शरीर को ठंडा रखें। धूप में बाहर जाने से बचें, अगर बहुत जरूरी हो तो धूप के चश्मे छाता, टोपी एवं जूते या चप्पल पहनकर ही घर से निकलें। यात्रा करते समय अपने साथ बोतल में पानी जरूर रखें। गर्मी दिनों में ओआरएस का घोल का पियें। घरेलू पेय जैसे नींबू पानी कच्चे आम का पना, लस्सी आदि का प्रयोग करें। जिससे शरीर में पानी की कमी न हों। कार्यस्थल पर पीने के साफ पानी की समुचित व्यवस्था रखें।

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