बलरामपुर। शासन-प्रशासन बाल विवाह जैसी कुप्रथा के उन्मूलन के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए बालिकाओं के शिक्षा, उनके अधिकारों की रक्षा, और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए पूरी सजगता से कार्य कर रही है। कलेक्टर के मार्गदर्शन में जिले के सभी विकासखंडों में आयोजित समाधान शिविरों में जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से बाल विवाह के विरुद्ध एक सशक्त जनचेतना अभियान चलाया जा रहा है। इसी कड़ी में लुरघुट्टा समाधान शिविर में बताया गया कि बाल विवाह रोकना केवल कानूनी कर्तव्य नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी भी है। हमें बेटियों को शिक्षा, आत्मनिर्भरता की बढ़ाने के लिए प्रेरित करना चाहिए। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा बाल विवाह जागरूकता अभियान अंतर्गत शिविर में  लगाए गए स्टॉल में जहां बाल विवाह के दुष्परिणाम, कानून, और सरकारी योजनाओं की जानकारी दी गई। बालिकाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य और अधिकारों को लेकर बुकलेट, ब्रोसर और पोस्टर वितरित किए गए। ‘‘पहले पढ़ाई फिर विदाई’’ जैसे स्लोगन के माध्यम से आमजनों को जागरूक किया गया।

बाल विवाह की सूचना पर की जा रही त्वरित कार्रवाई

प्रशासनिक अमला अब बाल विवाह जैसे मामलों में सक्रियता एवं सजगता से कार्य कर रही है। किसी भी गांव में बाल विवाह की सूचना मिलने पर महिला बाल विकास विभाग, पुलिस विभाग, आंगनबाड़ी सहायिका, कार्यकर्ता और पंचायत प्रतिनिधियों की संयुक्त टीम के द्वारा घर पर पहुंचकर विवाह को रोके जाने की कार्रवाई की जा रही है। हाल ही में जिले के क्षेत्रों में 20 बाल विवाह समय रहते रोके गए, जिनमें परिजनों को समझाइश देकर विवाह की तिथि स्थगित कराई गई। साथ ही ऐसे मामले जहां समझाइश के पश्चात भी विवाह करवाने की कोशिश करने पर संबंधितों के ऊपर एफ आई आर की कार्यवाही भी की गई है।

Leave a reply

Please enter your name here
Please enter your comment!