
रायपुर: छत्तीसगढ़ खनिज विकास निगम (सीएमडीसी) में मुख्य महाप्रबंधक की संविदा नियुक्ति को लेकर विवाद गहरा गया है। नियमों की अनदेखी कर नियुक्ति किए जाने का आरोप लगाते हुए मामला अब हाईकोर्ट की चौखट तक पहुंच गया है। कोर्ट ने इस गंभीर मामले में मुख्य सचिव सहित पांच जिम्मेदार अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
दरअसल, सीएमडीसी के मुख्य महाप्रबंधक पीएस यादव 28 फरवरी 2025 को सेवा से सेवानिवृत्त हुए थे। उसी दिन खनिज साधन विभाग के अवर सचिव ने आदेश जारी कर उन्हें संविदा नियुक्ति दे दी। आरोप है कि पीएस यादव ने खुद अपनी संविदा के लिए आवेदन किया, नोटशीट बनवाई और फाइल सीधे प्रबंध संचालक से होते हुए, अध्यक्ष तक पहुंचाई गई। इस प्रक्रिया में न तो संचालन मंडल की स्वीकृति ली गई, न ही नियमानुसार प्रक्रिया अपनाई गई।
सीएमडीसी के सेवा एवं भर्ती नियम 2014 (संशोधित 2020) के अनुसार, प्रथम श्रेणी सहायक महाप्रबंधक स्तर से ऊपर के पदों पर नियुक्ति का अधिकार केवल संचालक मंडल को है। इसके बावजूद विभागीय नियमों को दरकिनार कर यादव की संविदा नियुक्ति की गई। याचिका में यह भी उल्लेख है कि जब एक अन्य संविदा अधिकारी जयंत कुमार पशीने के मामले में संचालक मंडल की अनुमति अनिवार्य बताई गई थी, तब पीएस यादव के मामले में यह नियम क्यों नहीं लागू किया गया।
आरोप है कि इस पूरे प्रकरण में स्थापना प्रभारी सुशील कुमार चंद्राकर और पीएस यादव ने मिलकर वरिष्ठ अधिकारियों को गुमराह किया और नियमों के विरुद्ध नस्ती तैयार कर संविदा नियुक्ति का अनुमोदन कराया।
सीएमडीसी के नियम 3 और 20 के तहत, सभी अधिकारियों पर छत्तीसगढ़ सिविल सेवा सामान्य शर्त नियम 1981 और आचरण नियम 1965 भी लागू होते हैं। ऐसे में यह नियुक्ति न सिर्फ नियमों का उल्लंघन है बल्कि एक साजिशन गुमराह कर की गई कार्यवाही प्रतीत होती है।
हाईकोर्ट ने इस मामले में मुख्य सचिव, सचिव खनिज साधन विभाग, सचिव सामान्य प्रशासन विभाग, सीएमडीसी के प्रबंध संचालक और पीएस यादव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई में कई अहम खुलासे होने की संभावना है।