

अंबिकापुर। करोड़ों रुपये की ज़मीन हड़पने के बहुचर्चित मामले में वर्षों बाद बड़ा मोड़ आया है। सरगुजा जिले में लंबे समय से चर्चित इस जमीन विवाद में अदालत के निर्देश पर आखिरकार पुलिस ने कार्रवाई की है। कोतवाली पुलिस ने भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष भारत सिंह सिसोदिया, कांग्रेस के जिला महामंत्री राजीव अग्रवाल सहित सात लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश की धाराओं में एफआईआर दर्ज की है। इस प्रकरण को लेकर पहले प्रशासनिक चुप्पी और राजनीतिक दबाव की चर्चाएं थीं, लेकिन सीजेएम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश के बाद अब मामला सामने आ गया है। इससे स्थानीय सत्ता और भू-माफिया के गठजोड़ पर भी सवाल उठने लगे हैं।

वृद्ध महिलाओं की पुश्तैनी ज़मीन पर हेराफेरी का आरोप
दरअसल इस मामले की शिकायत 70 वर्षीय चंद्रमणि देवी कुशवाहा और 75 वर्षीय कलावती कुशवाहा ने की थी। दोनों ग्रामीण पृष्ठभूमि की अनपढ़ महिलाएं हैं। उन्होंने बताया कि नामांतरण और ज़मीन के बंटवारे के लिए उन्होंने अधिवक्ता दिनेश कुमार सिंह की मदद ली थी, लेकिन अधिवक्ता ने भरोसे का दुरुपयोग कर भू-माफियाओं और राजनीतिक रसूखदारों से मिलकर उनकी ज़मीन पर फर्जी अनुबंध और विक्रय पत्र तैयार करा दिए।

इस शिकायत के अनुसार, वर्ष 2015 से 2017 के बीच इस 2.87 हेक्टेयर जमीन को तीन अलग-अलग सौदों में बेचा गया। पहले 1.75 करोड़, फिर 1.13 करोड़ और अंत में केवल 40.16 लाख रुपये का आंशिक भुगतान दर्शाया गया। पीड़ितों का आरोप है कि उन्हें वास्तविक रकम नहीं मिली और सारा लेन-देन नकद या अस्पष्ट चेक नंबरों के माध्यम से दर्शाया गया, जिससे लेनदेन की पारदर्शिता पर सवाल खड़े होते हैं।

इस मामले में अधिवक्ता दिनेश कुमार सिंह के साथ-साथ रविकांत सिंह, नीरज प्रकाश पांडेय, राजेश सिंह, निलेश सिंह, भाजपा जिलाध्यक्ष भारत सिंह सिसोदिया और कांग्रेस जिला महामंत्री राजीव अग्रवाल को नामजद किया गया है। शिकायतकर्ताओं का कहना है कि ये सभी लोग राजनीतिक रूप से प्रभावशाली हैं और इलाके में भूमि कारोबार के जरिए अवैध रूप से मुनाफा कमा रहे हैं। पहले की गई शिकायतों पर भी पुलिस ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की थी।

अदालत के निर्देश पर दर्ज हुई एफआईआर
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156(3) के तहत कोतवाली थाना प्रभारी को निर्देशित किया कि शिकायत की जांच कर उचित धाराओं में एफआईआर दर्ज की जाए और दो सप्ताह के भीतर रिपोर्ट अदालत में पेश की जाए।
पुलिस द्वारा प्राथमिकी दर्ज किए जाने के बाद अब यह देखना अहम होगा कि जांच में क्या निष्कर्ष सामने आते हैं और क्या रसूखदार आरोपियों के खिलाफ निष्पक्ष कार्रवाई होती है। यह मामला स्थानीय राजनीति, प्रशासन और भू-माफिया गठजोड़ की सच्चाई उजागर करने की दिशा में अहम माना जा रहा है।






















