

रायपुर। AI-enabled banking friction लागू करने की मांग करते हुए सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने लोकसभा में डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड को देश की सबसे बड़ी उभरती वित्तीय चुनौती बताया। उन्होंने कहा कि यह अपराध न सिर्फ धोखाधड़ी है, बल्कि बुज़ुर्गों की आर्थिक सुरक्षा को सीधे प्रभावित करने वाला मनोवैज्ञानिक उत्पीड़न भी है। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, देशभर में डिजिटल अरेस्ट स्कैम के कारण पीड़ितों ने करीब ₹3,000 करोड़ गंवाए हैं, जिसमें अधिकांश बुज़ुर्ग शामिल हैं। सितंबर 2024 से मार्च 2025 के बीच ही एक महिला ने ₹32 करोड़ तक खो दिए।
MP अग्रवाल के अनुसार, डिजिटल अरेस्ट एक संगठित साइबर अपराध है जहां ठग वीडियो कॉल पर CBI या पुलिस अधिकारी बनकर पीड़ित को कई दिनों तक डराए रखते हैं। झूठी गिरफ्तारी की धमकी देकर वे पीड़ित को मानसिक दबाव में रखते हैं, जिसके चलते लोग अपनी जीवन भर की बचत मिनटों में ट्रांसफर कर देते हैं। एक मामले में तो व्यक्ति ने अपनी पूरी कमाई — लगभग ₹30 करोड़ — खो दी।
MP ने कहा कि बैंकिंग सिस्टम की सबसे बड़ी कमजोरी ट्रांजैक्शन की तेज़ स्पीड है। कोई भी व्यक्ति भावनात्मक दबाव में कुछ मिनटों में अपनी 80–90% सेविंग्स ट्रांसफर कर देता है और बैंक इसे सामान्य लेन-देन मानकर प्रोसेस कर देता है। उन्होंने इसीलिए AI-enabled banking friction की ज़रूरत बताई, जिसमें कूलिंग ऑफ और एस्क्रो सिस्टम शामिल हो।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि सिंगापुर में हाई-रिस्क ट्रांजैक्शंस पर ‘मनी लॉक’ फीचर लागू है। यदि कोई व्यक्ति अपने अकाउंट बैलेंस के 50% से अधिक धनराशि ट्रांसफर करना चाहता है, तो वह रकम 12–24 घंटे तक एस्क्रो में रहती है, जिससे धोखाधड़ी रोकी जा सकती है।
अग्रवाल ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि भारत में भी ऐसा AI-आधारित सुरक्षा तंत्र तुरंत लागू किया जाए, ताकि नागरिकों की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।






















