Raipur News: आज के आधुनिक दौर में फास्ट फूड और पैकेज्ड खानपान का चलन तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में छत्तीसगढ़ के कई पारंपरिक व्यंजन धीरे-धीरे लोगों की थाली से गायब होते जा रहे हैं। इसी बीच महासमुंद जिले के सरायपाली निवासी डमरूधर नायक छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक और खानपान विरासत को सहेजने का सराहनीय प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने प्रदेश की प्रसिद्ध पारंपरिक अंगाकर रोटी को एक बार फिर लोगों तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया है।

डमरूधर नायक पिछले चार वर्षों से रायपुर में रह रहे हैं। हाल ही में उन्होंने राजधानी रायपुर के डीडी नगर स्थित मानसरोवर भवन के सामने एक नाश्ता केंद्र शुरू किया है, जहां वे पारंपरिक अंगाकर रोटी परोस रहे हैं। खास बात यह है कि शहर में यह देसी नाश्ता लोगों को इतना पसंद आ रहा है कि सुबह से ही उनके स्टॉल पर भीड़ देखने को मिल रही है।

अंगाकर रोटी क्या है?
अंगाकर रोटी चावल, उड़द, गेहूं, ज्वार और बाजरा जैसे कई अनाजों को मिलाकर तैयार की जाती है। इसे पारंपरिक तरीके से पत्ते से ढंककर नीचे से आग और ऊपर से गर्म कोयले की आंच में पकाया जाता है। यही खास प्रक्रिया इसे अलग स्वाद और भरपूर पौष्टिकता देती है। छत्तीसगढ़ी बोली में इसे पनपुरवा रोटी भी कहा जाता है।

अंगाकर रोटी के साथ मिलने वाली चटनी इसकी असली पहचान मानी जाती है। टमाटर, हरी मिर्च और धनिया को सिलबट्टे पर पीसकर बनाई गई यह चटनी लोगों को दूर-दूर से यहां खींच ला रही है। एक ही रोटी इतनी भरपेट होती है कि इसे खाने के बाद दिनभर भूख नहीं लगती।

कीमत की बात करें तो पूरी अंगाकर रोटी 100 रुपये, आधी 50 रुपये और चौथाई 25 रुपये में उपलब्ध है, ताकि हर वर्ग के लोग इसका स्वाद ले सकें। रोजाना लगभग 250 अंगाकर रोटी की बिक्री हो रही है और इस नाश्ता केंद्र से 6 से 7 लोगों को रोजगार भी मिल रहा है।

डमरूधर नायक बताते हैं कि ठंड के मौसम में अंगाकर रोटी की मांग और बढ़ जाती है। उनका कहना है कि अंगाकर रोटी सिर्फ एक नाश्ता नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की परंपरा और ग्रामीण जीवनशैली की पहचान है, जिसे वे फिर से लोकप्रिय बनाना चाहते हैं।

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