कवर्धा। छत्तीसगढ़ में माओवादी आंदोलन को लेकर एक बड़ा मोड़ सामने आया है। माओवादियों की केंद्रीय कमेटी ने अस्थायी रूप से हथियारबंद संघर्ष रोकने और सरकार से शांति वार्ता की पेशकश की है। हालांकि, उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने साफ किया कि जब तक यह सिद्ध नहीं हो जाता कि पत्र वास्तव में माओवादी नेतृत्व की ओर से आया है, तब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाएगा।

मीडिया से चर्चा में विजय शर्मा ने कहा कि अगर पत्र की सत्यता साबित होती है, तो सरकार वार्ता की दिशा में कदम बढ़ाने पर विचार करेगी। उन्होंने यह भी जोड़ा कि राज्य सरकार शांति की समर्थक है, लेकिन किसी भी प्रकार की रणनीति या छल से सावधान रहना जरूरी है।

दरअसल, माओवादियों ने सरकार को भेजे पत्र में उल्लेख किया है कि मार्च 2025 से वे शांति वार्ता के लिए गंभीर और ईमानदार प्रयास कर रहे हैं। 10 मई को पार्टी के महासचिव ने बयान जारी कर हथियार छोड़ने और सर्वोच्च नेतृत्व से सलाह लेने के लिए एक माह का समय मांगा था। साथ ही, सरकार के सामने सीजफायर का प्रस्ताव भी रखा गया था।

पत्र में आरोप लगाया गया है कि इसके बावजूद केंद्र सरकार ने जनवरी 2024 से जारी सैन्य हमलों को और तेज किया। इसके परिणामस्वरूप 21 मई को गुंडेकोट के पास हुई भीषण मुठभेड़ में पार्टी के महासचिव कामरेड बसवाराजू समेत 28 साथी मारे गए।

माओवादी शांति वार्ता को आगे बढ़ाने की मांग कर रहे हैं और सरकार इस पत्र को गंभीरता से लेते हुए जांच एजेंसियों को सत्यापन के लिए सौंप चुकी है। अब सबकी निगाहें इस पर हैं कि क्या यह पहल राज्य में लंबे समय से चल रहे नक्सल संघर्ष को समाप्त करने की दिशा में कोई ठोस रास्ता खोलेगी।

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