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नई दिल्ली, आइएएनएस। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को हत्या के तीन दोषियों को बरी कर दिया। तीनों को छह लोगों की हत्या का दोषी करार दिया गया था। शीर्ष अदालत ने कहा कि अभियोजन इस मामले को साबित करने में नाकाम रहा। ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट ने इस मामले का जिस तरह निपटारा किया, उसे देखकर पीड़ा हुई। खासकर जब ट्रायल कोर्ट ने आरोपितों को मृत्युदंड सुनाया और हाई कोर्ट ने उस पर अपनी मुहर लगाई।
जस्टिस एल. नागेश्वर राव, जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस बी.वी. नागरत्ना की पीठ ने कहा कि आरोपितों की दोषसिद्धि और उन्हें सुनाया गया मृत्युदंड बिल्कुल भी कानून के मुताबिक नहीं है। इस मामले में मोमिन खान, उसके कजिन जैकम खान और जैकम के पुत्र साजिद को ट्रायल कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उनकी अपीलें खारिज कर दी थीं।
ट्रायल कोर्ट ने मोमिन की पत्नी को भी मौत की सजा सुनाई थी, लेकिन हाई कोर्ट ने उसे बरी कर दिया था। ट्रायल कोर्ट के निष्कर्षो पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए पीठ ने आदेश के हवाले से कहा, ‘कहानी के तौर पर विवरण पढ़ने में दिलचस्प है। हालांकि सभी निष्कर्ष अनुमान से अधिक कुछ नहीं हैं जिनके समर्थन में कोई साक्ष्य नहीं है।’ पीठ ने कहा कि अपराध स्वीकार करने के संबंध में दिए गए सभी बयान साक्ष्य के रूप में स्वीकार करने योग्य नहीं हैं।
यह भी देखा जा सकता है कि विभिन्न जगहों से की गईं बरामदगियों पर भी भरोसा नहीं किया जा सकता।अभियोजन के अनुसार, 23 जनवरी, 2014 को उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में ईट भट्टे को लेकर विवाद में चार आरोपितों ने मोमिन के पिता मौसम खान, मां असगरी, भाई शौकीन खान, भाभी शन्नो, भतीजे समद और भाई की भतीजी मुस्कान की हत्या कर दी थी।

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