सूरजपुर: कलेक्टर एस. जयवर्धन के निर्देशन एंव मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी की अध्यक्षता में विगत दिवस जिला चिकित्सालय के सभा कक्ष में विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस का आयोजन किया गया। आज-कल के दौर में बदलती जीवनशैली और बढ़ता मानसिक दबाव लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल रहा है। तनाव, डिप्रेशन, और एन्जाएटी जैसी समस्याएं अब आम होती जा रही है। कई बार ये मानसिक परेशानियां इतनी गंभीर हो जाती है, कि व्यक्ति आत्महत्या जैसे कदम उठाने कि सोचने लगता है। यह सिर्फ एक व्यक्ति कि नहीं बल्कि पूरे समाज कि चिन्ता का विषय बन चुका है। इसकी रोकथाम करने हेतु प्रति वर्ष 10 सितम्बर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवय मनाया जाता है।

डॉ. अकिंत शर्मा मानसिक रोग विशेषज्ञ के द्वारा बताया गया कि आत्महत्या से जुडे आँकड़े चिन्ताजनक है ज्यादातर यह 15 से 29 वर्ष के आयु वर्ग में देखा गया है आश्चर्यजनक रुप से बहुत से लोग आत्महत्या का प्रयास करते है या आत्महत्या के विचार मन में आते हैं। मानसिक स्वास्थ्य के नोड़ल डॉ. राजेश पैकरा के द्वारा बताया गया कि आत्महत्या के समान्य जोखिम कारक जैसे मादक द्रव्यों के सेवन या लत, पुरानी बिमारी, समाजिक अलगाव या समर्थन की कमी और मानसिक स्वास्थ्य विकार आदि जैसे जोखिम कारकों को पहचान कर हमें उन व्यक्तियों को पहचान करने में मदद मिल सकती है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. के. डी. पैकरा ने बताया कि हमें आत्महत्या के रोकथाम के लिए बहुआयामी दृष्टीकोण कि आवश्यकता है इसके लिए हमें मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्या के बारे में खुली बातचीत को बढ़ावा देना होगा, स्कूलो और सामुदायों में मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा को बढ़ाना होगा। कार्यक्रम में नर्सिंग कालेज के छात्राओं के द्वारा रंगोली एवं नाटक के माध्यम से आत्महत्या के कारणों को प्रभावी ढ़ग से बताया गया। कार्यक्रम में आभार मिडिया प्रभारी सुरेश गुप्ता के द्वारा किया गया। कार्यक्रम में डॉ. दिपक मरकाम, तारा सिंह, राहुल मांझी एवं नर्सिंग कालेज कि छात्राएं उपस्थित थी।

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