

बलरामपुर: शासकीय रानी दुर्गावती महाविद्यालय, वाड्रफनगर में जनजातीय समाज का गौरवशाली अतीत ऐतिहासिक, समाजिक एवं आध्यातिमक योगदान विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य जनजातीय समाज की समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं, ऐतिहासिक योगदान तथा समाजिक मूल्यों के प्रति जागरूकता को बढ़ावा देना था। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मानसिंह मरकाम, मुख्य वक्ता मेहीलाल आयम, विशेष अतिथि सुखनाथ मरावी, रामदेव जगते, देवनारायण मरावी, निलेश देवागंन, जानसाय नेताम, अनिल मेसराम, शारदामनी उपस्थित रहे।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सुधीर कुमार सिंह द्वारा कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जनजातियों के समाज के बलिदानों, संघर्षों एवं महत्वों को बताते हुए छत्तीसगढ़ की मिट्टी एवं समाज के लिए समर्पित व्यक्तित्व माता राजमोहनी देवी, संत गहिरा गुरू, बिरसा मुंडा के बलिदानों व संघर्षों का वर्णन किया। श्री मानसिंह मरकाम ने संबोधित करते हुए समाज में आदिवासियों के संघर्षों की व्याख्या एवं समस्त क्रांतिकारियों, समाज सेवकों को स्मरण कर समाज में शिक्षा के प्रति जागरूकता एवं महत्व को बताया गया। श्री मेहीलाल द्वारा जनजातीय समाज का गौरवशाली अतीत के बारे में एवं भगवान बिरसा मुंडा, राजमोहनी देवी, रानी दुर्गावती के जीवनी को याद करते हुए उन्हे प्रेरणा स्त्रोत बताते हुए छात्र-छात्राओं को आदिवासी रीति-रिवाज, परम्परा, भारतीय संस्कृति के प्रति जागरूक रहने को कहा। अन्य जनों ने भी अपने -अपने विचार साझा करते हुए आदिवासी संस्कृति जनजातियों के विभिन्न प्रकार के आंदोलन एवं क्रांतिकारी विचारों के बारे में देश के युवाओं को संबोधित किया, आदिवासियों के लिए बनाये गए संवैधानिक कानूनों के बारे में जानने एवं उसका सही उपयोग करने, दहेज प्रथा पर प्रतिबंध लगाने की बात कही। कार्यक्रम में सहायक प्राध्यापक, कर्मचारी तथा महाविद्यालय के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।






















