रायपुर। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता टीएस सिंहदेव ने एसआईआर (Special Summary Revision) को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने इस पूरी प्रक्रिया को “अनावश्यक और बोझिल” बताते हुए कहा कि बिहार में हुई एक प्रक्रिया को छिपाने के लिए इसे 12 राज्यों पर थोपा गया है। सिंहदेव ने सवाल उठाते हुए कहा कि एसआईआर का उद्देश्य क्या है, जब बीएलओ को घर-घर जाकर फॉर्म देना चाहिए, लेकिन खुद उन्हें अपना फॉर्म भरने में दिक्कत हुई। ऐसे में एक सामान्य नागरिक से कितनी उम्मीद की जा सकती है? उन्होंने कहा कि फॉर्म भरने के बाद उसकी प्रतिलिपि भी लोगों को उपलब्ध नहीं कराई जा रही, जो प्रक्रिया की खामियों को उजागर करता है।

उन्होंने आगे कहा कि बीएलओ अकेले इस काम को समय पर पूरा नहीं कर पा रहे हैं। यही वजह है कि अन्य कर्मियों को भी इस प्रक्रिया में लगाया गया है, जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि पूरी प्रक्रिया शुरू से ही त्रुटिपूर्ण है। उन्होंने प्रशासन से आग्रह किया कि नागरिकों पर बोझ डालने के बजाय चुनाव अधिकारियों को फॉर्म भरने की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए, जैसा पहले होता आया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगामी छत्तीसगढ़ दौरे पर बात करते हुए सिंहदेव ने कहा कि वे प्रधानमंत्री का स्वागत करते हैं, लेकिन उम्मीद है कि वे राज्य और देश की वर्तमान समस्याओं की ओर भी ध्यान देंगे। उन्होंने किसानों की खाद आपूर्ति, धान खरीदी में आई नई दिक्कतों, महंगी बिजली और जमीन के बढ़ते दामों को बड़ा मुद्दा बताया। उनका कहना है कि जमीन के बढ़े हुए दामों से वंचित तबके को कोई लाभ नहीं मिलने वाला, जबकि जमीन खरीदार को नुकसान झेलना पड़ रहा है।

धर्मांतरण के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि इसे राजनीतिक रूप से भुनाने की कोशिश की जा रही है। सिंहदेव ने कहा कि भारत के कानून स्पष्ट हैं—किसी को लालच देकर धर्म बदलवाने पर कार्रवाई होती है। इसलिए सरकार की प्राथमिकता यह होनी चाहिए कि सभी धर्मों के लोग सुरक्षित और सम्मानित महसूस करें।

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