Shiva Pradosh Vrat हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ माना जाता है। शिव पुराण के अनुसार प्रदोष तिथि भगवान महादेव की प्रिय तिथि है। श्रद्धा और पवित्र भाव से की गई शिव पूजा साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती है। इस बार मार्गशीर्ष माह का पहला प्रदोष सोमवार को पड़ रहा है, जिससे इसका महत्व कई गुना बढ़ गया है। जब सोमवार की पवित्रता प्रदोष तिथि से जुड़ जाती है, तो यह दुर्लभ और अत्यंत प्रभावी योग बनाता है, जिसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है।

कब है सोम प्रदोष व्रत?

इस वर्ष Shiva Pradosh Vrat को और विशेष बनाने वाला एक महत्वपूर्ण संयोग भी बन रहा है—अभिजीत मुहूर्त का। माना जाता है कि अभिजीत मुहूर्त में किया गया जप, संकल्प या पूजा शीघ्र फल देती है। पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि
17 नवंबर सुबह 4:46 बजे से 18 नवंबर सुबह 7:11 बजे तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार व्रत 17 नवंबर 2025 को रखा जाएगा।
प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद लगभग डेढ़ घंटे तक माना जाता है और इसी समय शिव आराधना सर्वश्रेष्ठ मानी गई है।
अभिजीत मुहूर्त इस बार सुबह 11:45 से 12:27 बजे तक रहेगा।

प्रदोष व्रत की पूजा विधि

सोम प्रदोष व्रत को चंद्र दोष शांत करने, संतान प्राप्ति, वैवाहिक सुख और अच्छे जीवनसाथी के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। माना जाता है कि प्रदोष व्रत साधक को अष्ट सिद्धि और नव निधियों का आशीर्वाद दिलाता है। इस साल का अंतिम सोम प्रदोष व्रत 17 नवंबर 2025 को पड़ रहा है, जो विशेष रूप से विवाह में बाधाओं को दूर करने वाला माना गया है।

इस दिन करें ये सरल और प्रभावी उपाय

फलाहार व्रत रखकर शिवलिंग पर अक्षत और शमी का पुष्प चढ़ाएं। इससे प्रेम विवाह के रास्ते सरल होते हैं।

108 बेलपत्रों पर चंदन से ‘श्रीराम’ लिखकर शिव को अर्पित करें। इससे विवाह में देरी दूर होती है।

माता पार्वती को सोलह श्रृंगार अर्पित करें और गरीबों को अन्न, फल या वस्त्र दान करें। इससे ग्रहों की अशुभता दूर होती है।

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