
नई दिल्ली।श्रावण मास के पहले मंगलवार को 15 जुलाई को मंगला गौरी व्रत रखा जाएगा। यह व्रत विशेष रूप से विवाहित स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र, सुख-शांति और अखंड सौभाग्य के लिए करती हैं, वहीं कुंवारी कन्याएं योग्य वर की प्राप्ति के उद्देश्य से मां गौरी की पूजा करती हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह व्रत मां गौरी के आशीर्वाद से जीवन में प्रेम, समृद्धि और संतान सुख देने वाला माना जाता है। व्रती महिलाएं मंगलवार को ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान कर साफ वस्त्र पहनती हैं, फिर पूजा स्थल को सजाकर कलश स्थापना करती हैं। मां गौरी को हल्दी, कुमकुम, चूड़ी, बिंदी, वस्त्र और सुहाग की सामग्री अर्पित कर व्रत का संकल्प लिया जाता है।
पंचांग के अनुसार, इस दिन चंद्रमा कुंभ राशि से मीन राशि में प्रवेश करेगा। अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:59 से दोपहर 12:55 तक रहेगा, जबकि राहुकाल शाम 3:54 से 5:37 तक होगा।
पूजन में 16 श्रृंगार की वस्तुएं, 5 प्रकार के सूखे मेवे और 7 प्रकार के अनाज चढ़ाए जाते हैं। उपवास न रख पाने वाली महिलाएं भी पूजन और कथा श्रवण अवश्य करती हैं। मान्यता है कि इस व्रत से माता पार्वती और भगवान शिव दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।