अम्बिकापुर: कलेक्टर विलास भोसकर ने आज कलेक्टोरेट सभाकक्ष में परसा कोल ब्लॉक खनन परियोजना से प्रभावित ग्राम साल्ही, घाटबर्रा, फतेहपुर, हरिहरपुर, जनार्दनपुर एवं तारा के ग्रामीणों की बैठक ली। बैठक में भूमि विस्थापितों ने परियोजना से संबंधित मुआवजा, रोजगार एवं पुनर्वास नीति के पालन को लेकर अपनी 12 सूत्रीय मांगें रखीं।

विस्थापित ग्रामीणों ने बताया कि परसा कोल ब्लॉक का भूमि अधिग्रहण कोयला धारक क्षेत्र (अर्जन एवं विकास) अधिनियम, 1957 के अंतर्गत किया गया है, जबकि समीपवर्ती पी.ई.के.बी. कोल ब्लॉक का अधिग्रहण भूमि अधिग्रहण कानून-2013 के तहत किया जा रहा है। दोनों परियोजनाएं राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को आबंटित हैं, परंतु दोनों में मुआवजा दरों में असमानता है। ग्रामीणों ने बताया कि पी.ई.के.बी. कोल ब्लॉक में भूमि का अधिग्रहण 23,82,923 प्रति एकड़ की दर से किया जा रहा है, जबकि परसा कोल ब्लॉक में केवल लगभग 12 लाख प्रति एकड़ मुआवजा दिया गया है।

ग्रामीणों ने कलेक्टर के समक्ष मांग रखी कि दोनों परियोजनाओं में मुआवजा दर समान की जाए। इसके अलावा उन्होंने पुनर्वास नीति के अनुसार रोजगार, पेंशन, सीएसआर फंड से ग्राम विकास, और विस्थापितों के प्रति प्रशासनिक संवेदनशीलता की भी मांग की।

बैठक में ग्रामीणों द्वारा रखी गई प्रमुख मांगों में परसा कोल ब्लॉक में सभी प्रकार की भूमि का मुआवजा 23,82,923 प्रति एकड़ या उससे अधिक दर से दिया जाए। पुनर्वास नीति 2007 के अनुसार पात्र परिवारों को रोजगार या 10 लाख एकमुश्त राशि प्रदान की जाए। नियुक्ति पाने वाले विस्थापितों का प्रारंभिक वेतन 30,000 प्रति माह रखा जाए और 2024 तक 18 वर्ष पूर्ण करने वाले युवाओं को भी रोजगार दिया जाए।

वन अधिकार पत्र धारकों को समान मुआवजा और रोजगार मिले। वृद्धजन को 2,000 मासिक पेंशन दी जाए। घरजमाई (परिजनों के दामाद) को भी रोजगार का अवसर दिया जाए। सीएसआर फंड से ग्राम विकास के लिए समिति गठित कर कार्य उसी समिति की अनुशंसा पर किए जाएं। रोजगार में देरी होने पर क्षतिपूर्ति राशि दी जाए और मृत कर्मचारी के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति मिले।

ग्रामीणों ने यह भी बताया कि कई परिवारों को अब तक घर, बोर एवं अन्य परिसंपत्तियों का मुआवजा नहीं मिला है। जनार्दनपुर जैसे ग्रामों में आवास तोड़े गए हैं, किंतु पुनर्वास का लाभ नहीं मिला। उन्होंने यह भी मांग रखी कि जिन्होंने मुआवजा प्राप्त कर लिया है, उन्हें भी 3 लाख प्रति एकड़ ब्याज सहित अतिरिक्त भुगतान किया जाए।

कलेक्टर ने ग्रामीणों की सभी बातें ध्यानपूर्वक सुनीं और कहा कि प्रत्येक मांग का परीक्षण नियमानुसार किया जाएगा। उन्होंने अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) उदयपुर और खनन विभाग के अधिकारियों को ग्रामीणों मांग अनुरूप तथ्यात्मक प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। कलेक्टर ने कहा कि प्रशासन विस्थापित परिवारों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और सभी मांगों पर पारदर्शी एवं न्यायसंगत कार्रवाई की जाएगी।

बैठक में अपर कलेक्टर  रामसिंह ठाकुर, एसडीएम  बनसिंह नेताम, खनन अधिकारी, परियोजना प्रबंधन के प्रतिनिधि, एवं प्रभावित ग्रामों के ग्रामीण बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

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