MUZAFFARPUR. साइबर अपराध धीरे-धीरे हॉलीवुड थ्रिलर फिल्मों जैसी हकीकत में बदल रहा है। बिहार के मुजफ्फरपुर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और कॉल मर्जिंग तकनीक का इस्तेमाल करके साइबर जालसाजों ने बैंक मैनेजर को चकमा दिया और करीब 39 लाख रुपये उड़ा लिए।

यह हैरतअंगेज मामला केनरा बैंक, अघोरिया बाजार शाखा में सामने आया, जहां अपराधियों ने इतनी सफाई से खेल रचा कि प्रोफेशनल बैंक अधिकारी भी उनके जाल में फंस गए।

कैसे हुआ साइबर ड्रामा?
घटना 26 अगस्त को शाम करीब 4:30 बजे की है। अघोरिया बाजार शाखा के ब्रांच मैनेजर मनीष कुमार को एक कॉल आया। फोन पर मौजूद शख्स की आवाज, शहर के मशहूर ऑटो डीलर बालाजी हुंडई के मालिक शक्ति स्वरूप शर्मा जैसी थी।

साजिश इतनी पक्की थी कि कॉल सुनते ही मैनेजर को इस पर शक तक नहीं हुआ। अपराधी ने खुद को वही बताते हुए तुरंत चार अलग-अलग खातों में बड़ा ट्रांजैक्शन करने का “ऑफिशियल” आदेश दिया।

‘चेक खत्म हो गया’ – बहाना और चालाकी
जब मैनेजर ने औपचारिकता के तौर पर चेक और प्रमाण की मांग की, तो कॉल करने वाले ने बड़े सहज अंदाज़ में कहा—“चेकबुक खत्म हो गई है, तुरंत ऑनलाइन ट्रांसफर कर दीजिए।”

कुछ ही मिनटों में मैनेजर के व्हाट्सऐप पर एक लेटर हेड आ गया। उसमें चार अलग-अलग बैंक खातों की डिटेल थी— मो. कलीम, राहुल मुकेश काले, रवि कुमार, क्यूम। आवाज़, ट्रूकॉलर पर दिख रहे नाम और मैसेज देखकर मैनेजर ने बिना पुष्टि किए ₹38,82,500 चारों खातों में ट्रांसफर कर दिए।

जब असली शर्मा ने किया कॉल
पैसे ट्रांसफर होते ही स्थिति ने ड्रामाई मोड़ ले लिया। कुछ ही देर बाद असली शक्ति स्वरूप शर्मा ने मैनेजर को कॉल कर कहा कि उनके अकाउंट से पैसे गायब हो गए हैं। यह सुनते ही ब्रांच मैनेजर मनीष कुमार के होश उड़ गए। उन्हें समझ आया कि जिस इंसान से वह फोन पर बात कर रहे थे, वह कोई और था—साइबर अपराधी!

शिकायत और FIR दर्ज
घटना का एहसास होते ही बैंक मैनेजर ने तुरंत नेशनल साइबर क्राइम पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई और अपने वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना दी। केनरा बैंक के मंडल प्रबंधक जनार्दन प्रसाद सिन्हा ने इस मामले की शिकायत मुजफ्फरपुर साइबर थाने में दर्ज कराई। पुलिस ने मामला गंभीर मानकर जांच शुरू कर दी है। साइबर ठगों के खातों को ट्रेस करने और रकम पकड़ने के लिए टीम सक्रिय हो गई है।

एआई धोखाधड़ी का नया खतरा
यह घटना साफ़ करती है कि साइबर अपराधी अब केवल मेल या लिंक से जाल में नहीं फंसा रहे, बल्कि एआई की मदद से असली आवाज और पहचान की हूबहू नकल बनाकर धोखाधड़ी कर रहे हैं।

जो तकनीक अभी तक फिल्मों और रिसर्च लैब्स में थी, वही अभी आपकी जेब में पड़े स्मार्टफोन को निशाना बनाकर करोड़ों का नुकसान कर सकती है।

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