नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में आवारा कुत्तों की बढ़ती समस्या पर गंभीर नाराज़गी जताते हुए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को फटकार लगाई है। अदालत ने ‘पशु जन्म नियंत्रण (Animal Birth Control – ABC) नियमों’ को लागू करने में लापरवाही बरतने वाले राज्यों के मुख्य सचिवों को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने का आदेश दिया है।

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि “सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का सम्मान नहीं किया जा रहा है। ऐसा लगता है कि अधिकारी गहरी नींद में हैं।” कोर्ट ने यह भी कहा कि जिन राज्यों ने अब तक हलफनामे दाखिल नहीं किए हैं, उन्हें अगली सुनवाई में शारीरिक रूप से उपस्थित होकर कारण बताना होगा।

वर्चुअल पेशी से इनकार
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य सचिवों को वर्चुअली पेश होने की अनुमति मांगी थी, जिसे कोर्ट ने खारिज करते हुए कहा — “अब उन्हें अदालत में आकर जवाब देना होगा कि आदेशों का पालन क्यों नहीं हुआ।”

कोर्ट की कड़ी टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह बेहद अफसोसजनक है कि अदालत का कीमती समय उन मामलों में व्यर्थ हो रहा है, जिन्हें नगर निकायों और राज्य सरकारों को पहले ही हल कर लेना चाहिए था। कोर्ट ने यह भी याद दिलाया कि संसद ने ‘एनिमल बर्थ कंट्रोल रूल्स’ बनाए हैं, परंतु जमीनी स्तर पर इनका पालन नहीं हो रहा है।

पिछली सुनवाई में चेतावनी
27 अक्टूबर को अदालत ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया था, लेकिन अब तक केवल पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और दिल्ली नगर निगम (MCD) ने रिपोर्ट सौंपी है। बाकी राज्यों की ओर से कोई प्रतिनिधि मौजूद न होने पर कोर्ट ने सख्त नाराज़गी जताई।

सुप्रीम कोर्ट का यह रुख स्पष्ट संकेत देता है कि अब वह आवारा कुत्तों की समस्या और जन-सुरक्षा को लेकर कोई ढिलाई बर्दाश्त नहीं करेगा। अदालत चाहती है कि सभी राज्य जल्द से जल्द ABC नियमों को पूरी तरह लागू करें।

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