नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में बढ़ते डिजिटल अरेस्ट मामलों पर सख्त रुख अपनाते हुए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी किया है। शीर्ष अदालत ने इन सभी से लंबित मामलों और अब तक की कार्रवाई का विस्तृत विवरण मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 3 नवंबर को होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी इन डिजिटल अरेस्ट घोटालों पर खुद संज्ञान लेते हुए कहा था कि यह एक गंभीर और उभरता साइबर अपराध है, जो नागरिकों की सुरक्षा और न्याय व्यवस्था पर सीधा असर डाल रहा है। कोर्ट ने कहा कि इस तरह की घटनाएं आम लोगों के कानून व्यवस्था पर भरोसे को कमजोर करती हैं।

क्या है डिजिटल अरेस्ट?
हाल के दिनों में देशभर में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें ठग खुद को पुलिस अधिकारी या न्यायिक प्राधिकरण बताकर आम नागरिकों, खासकर वरिष्ठ नागरिकों से ठगी करते हैं। ये ठग वीडियो कॉल या ईमेल के जरिए लोगों को डराने, ब्लैकमेल करने और पैसे वसूलने का प्रयास करते हैं। थोड़ी सी भी चूक होने पर लोग इनके जाल में फंस जाते हैं।

सुप्रीम कोर्ट की सख्त चेतावनी
कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि वे साइबर अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करें। साथ ही, नागरिकों को जागरूक करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं ताकि कोई भी व्यक्ति ऐसे डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड का शिकार न बने।

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