नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा की कि बिहार के बाद अब देश के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में SIR Phase 2 यानी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। यह अभियान 28 अक्टूबर से शुरू होकर 7 फरवरी तक चलेगा। इस दौरान वोटर लिस्ट को अपडेट किया जाएगा और पात्र मतदाताओं के नाम जोड़े या सुधारे जाएंगे।

हालांकि, इस प्रक्रिया को लेकर विपक्ष ने कड़ा विरोध जताया है। कांग्रेस का कहना है कि जब SIR से जुड़ा मामला अभी अदालत में विचाराधीन है, तो चुनाव आयोग को इतनी जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। पार्टी ने आरोप लगाया कि आयोग पारदर्शिता के नियमों की अनदेखी कर रहा है।

वहीं, पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने भी SIR Phase 2 का विरोध करते हुए 2 नवंबर को कोलकाता में बड़ी रैली निकालने का ऐलान किया है। इस रैली का नेतृत्व अभिषेक बनर्जी करेंगे। टीएमसी का दावा है कि यह प्रक्रिया बंगाल के मतदाताओं को निशाना बनाने की कोशिश है।

SIR लागू होने से पहले ही पश्चिम बंगाल सरकार ने प्रशासनिक स्तर पर बड़े बदलाव किए हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, राज्य में 10 जिला अधिकारियों (DM) समेत 64 IAS अधिकारियों का तबादला कर दिया गया है।

वहीं, भारतीय जनता पार्टी (BJP) का कहना है कि विपक्ष SIR का विरोध इसलिए कर रहा है क्योंकि पारदर्शी वोटर लिस्ट बनने के बाद बंगाल में करीब 1 करोड़ से ज्यादा अवैध वोटरों के नाम हट सकते हैं।

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