

सारंगढ़। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा विशेष पिछड़ी जनजाति के परिवारों को स्वावलंबी बनाने की दिशा में चलाए जा रहे बांस शिल्पकला प्रशिक्षण कार्यक्रम में भारी अनियमितताओं का मामला सामने आया है। करीब 8 लाख रुपये के बजट से सारंगढ़ के लिमगांव में 45 दिनों का प्रशिक्षण आयोजित किया जा रहा है, जिसकी शुरुआत कागजों में 3 नवंबर से बताई गई है। लेकिन 15 दिन बीत जाने के बाद भी प्रशिक्षण केंद्र लगभग खाली मिला।
प्रशिक्षण केंद्र में न प्रशिक्षार्थी, न रजिस्टर
स्थानीय लोगों और मीडिया की टीम ने जब लिमगांव स्थित प्रशिक्षण केंद्र पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया, तो वहां केवल एक व्यक्ति प्रशिक्षण लेने वाला और तीन प्रशिक्षण देने वाले मौजूद थे।केंद्र में प्रशिक्षणार्थियों की संख्या का कोई रिकॉर्ड नहीं था, न ही उपस्थिति रजिस्टर उपलब्ध मिला।
एसडीओ (वन विभाग) ने कैमरे पर बात करने से साफ इनकार कर दिया और सिर्फ जांच करवाने की बात दोहराते रहे।जब उनसे 15 दिनों में कितने अधिकारी जांच के लिए गए, इस पर सवाल पूछा गया तो वे चुप्पी साध गए।वहीं डीएफओ ने जानकारी देने से मना कर दिया और सिर दर्द का बहाना बनाकर कैमरे से बचते दिखे।
लोगों का आरोप – 8 लाख की रकम में खेल
स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशिक्षण सिर्फ कागजों में चल रहा है और विभागीय अधिकारी-कर्मचारी प्रशिक्षण मद की राशि में गड़बड़ी की तैयारी कर रहे हैं।लोगों का आरोप है कि वास्तविक प्रशिक्षण नहीं हो रहा, बल्कि फर्जीवाड़ा कर रकम निकालने की कोशिश की जा रही है।






















