

अंबिकापुर: इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय से सम्बद्ध कृषि विज्ञान केंद्र मैनपाट में नेशनल हनी बोर्ड एवं हनी मिशन के तहत आयोजित सात दिवसीय मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण का समापन हुआ। कार्यक्रम में राजमोहिनी देवी कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. संतोष सिन्हा मुख्य अतिथि और जिला पंचायत सदस्य शिव भरोष बेक विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के स्वागत उद्बोधन में केंद्र प्रमुख डॉ. राजेश चौकसे ने बताया कि कृषि की 60 से 70 प्रतिशत फसलों का परागण मधुमक्खियों के माध्यम से होता है। सरगुजा जिले में मधुमक्खी पालन की अपार संभावनाएं हैं, इसी को देखते हुए 25 प्रतिभागियों को आवासीय प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण में थ्योरी के साथ-साथ प्रायोगिक जानकारी और भ्रमण कराया गया, जिससे कृषक व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त कर सकें।
अधिष्ठाता डॉ. संतोष कुमार सिंह ने कहा कि इटालियन प्रजाति की मधुमक्खियां अधिक उत्पादन देती हैं और इनके पालन से फसल उत्पादन में 10 से 20 प्रतिशत तक वृद्धि संभव है। साथ ही, शहद का मानव स्वास्थ्य में विशेष महत्व है। उन्होंने विश्वास जताया कि प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले कृषक वैज्ञानिक तरीके से मधुमक्खी पालन कर मुनाफा कमा सकेंगे।
विशिष्ट अतिथि शिव भरोष बेक ने किसानों को मधुमक्खी पालन अपनाने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि हनी मिशन के तहत अधिक से अधिक कृषकों को इस व्यवसाय से जोड़ा जाएगा, जिससे उनकी आय में बढ़ोतरी हो।उद्यानिकी महाविद्यालय सीतापुर के अधिष्ठाता डॉ. वीरेंद्र तिग्गा ने कहा कि समन्वित कृषि प्रणाली में मधुमक्खी पालन को शामिल कर किसान अतिरिक्त आय अर्जित कर सकते हैं। साथ ही, उद्यान और सब्जी फसलों में परागण की प्रक्रिया से उत्पादन में वृद्धि होती है।
प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा किए। समापन अवसर पर मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथि द्वारा प्रशिक्षण प्रमाणपत्र वितरित किए गए। कार्यक्रम का संचालन डॉ. शमशेर आलम ने किया। इस दौरान गणमान्यजन, कृषक, प्रशिक्षण प्रभारी प्रदीप कुमार लकड़ा और केंद्र के कर्मचारी उपस्थित थे।






















