कोरबा। एसईसीएल  गेवरा क्षेत्र में वादाखिलाफी के आरोपों को लेकर दो भू-विस्थापित परिवारों ने गुरुवार को महाप्रबंधक कार्यालय परिसर के अंदर स्थित श्रमिक मूर्ति के सामने शांतिपूर्ण सत्याग्रह किया। करीब तीन घंटे तक चले इस धरना–प्रदर्शन में दोनों परिवारों ने मुआवजा, बसाहट, एग्रेशिया राशि और परिजनों के लिए वैकल्पिक रोजगार जैसे लंबित मामलों के त्वरित समाधान की मांग उठाई।
भू-विस्थापित जोहनराम निर्मलकर और ललित महिलांगे अपने परिवारों के साथ बैठे रहे। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि एसईसीएल द्वारा अधिग्रहित जमीन और मकानों के बदले अब तक उन्हें वादे के अनुसार पूर्ण मुआवजा एवं पुनर्वास का लाभ नहीं मिला है, जिसके चलते वे आर्थिक और सामाजिक संकट से गुजर रहे हैं।

प्रदर्शन के दौरान जोहनराम निर्मलकर ने कहा कि उन्होंने अपनी एक मकान अपनी पुत्री के नाम नापी कराई थी, लेकिन दो वर्ष पूर्व बेटी की मृत्यु के बाद से उस मकान का मुआवजा लंबित है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर उनकी नातिन (मृत पुत्री की संतान) को मकान से जुड़ा वैध मुआवजा नहीं मिला तो वे मजबूरन उसे एसईसीएल के हवाले कर देंगे।वहीं दूसरी ओर ललित महिलांगे ने प्रबंधन को एक सप्ताह की समय-सीमा देते हुए कहा कि तय अवधि में मुआवजा जारी नहीं होने पर वे SECL गेवरा कार्यालय परिसर में नग्न होकर विरोध प्रदर्शन करने को बाध्य होंगे।
लगभग तीन घंटे के शांतिपूर्ण सत्याग्रह के बाद दोनों परिवारों ने एसईसीएल प्रबंधन को एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा, जिसमें लंबित मामलों के शीघ्र और संतोषजनक निराकरण की मांग की गई है। भू-विस्थापितों ने स्पष्ट किया कि जब तक उनकी मांगों पर आवश्यक कार्रवाई नहीं होती, वे संघर्ष जारी रखेंगे।

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