पटना : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली नई सरकार का स्वरूप बदला-बदला नजर आ रहा है। पूर्व की सरकार में नीतीश के डिप्टी रहे सम्राट चौधरी, इस बार भी उपमुख्यमंत्री बनाए गए हैं, लेकिन उनका प्रमोशन हो गया है। बिहार में एनडीए के शासनकाल में पहली बार जेडीयू ने सबसे ज्यादा पावरफुल माने जाने वाला गृह विभाग छोड़कर भाजपा को दे दिया है। सम्राट को बिहार का गृह मंत्री बनाया गया है। ऐसे में सियासी गलियारों में चर्चा है कि भाजपा ने बिहार में भविष्य को देखते हुए यह कदम उठाया है और क्या सम्राट को पार्टी और बड़ा आदमी बनाएगी?

यह चर्चा इसलिए भी हो रही है क्योंकि नीतीश कुमार के दो दशक के मुख्यमंत्री कार्यकाल में भाजपा के दिवंगत नेता सुशील कुमार मोदी लंबे समय तक डिप्टी सीएम रहे, लेकिन वे भी वित्त मंत्री तक ही पहुंच सके थे। नीतीश और सुशील मोदी की दोस्ती गहरी थी, फिर भी उन्हें कभी कभी गृह विभाग नहीं मिला था। उनके निधन के बाद बिहार में भाजपा को बड़े चेहरे की तलाश रही है। 2024 में महागठबंधन छोड़कर जब नीतीश ने एनडीए में वापसी की, तो भाजपा ने सीएम के खिलाफ विपक्ष में सबसे मुखर रहे सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को डिप्टी सीएम बनाया था। उसी समय सम्राट को वित्त विभाग की कमान भी सौंपी गई।

अमित शाह ने कहा था – सम्राट को बड़ा आदमी बनाएंगे
2025 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने विधान परिषद के सदस्य रहे सम्राट चौधरी को मुंगेर जिले की तारापुर सीट से टिकट दिया। सम्राट के लिए वोट मांगने खुद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पहुंचे थे। तारापुर विधानसभा क्षेत्र में रैली के दौरान शाह ने लोगों से वादा किया था कि वे सम्राट को भारी मतों से जीता कर भेजें, उन्हें सरकार में बड़ा आदमी बनाया जाएगा।

तारापुर सीट से सम्राट चौधरी ने आरजेडी के प्रत्याशी अरुण कुमार को 45 हजार वोटों से हराकर बड़ी जीत दर्ज की। फिर भाजपा विधायक दल की बैठक में उन्हें नेता चुनकर आलाकमान ने उनके उपमुख्यमंत्री पद पर मुहर लगा दी। सम्राट के साथ विजय सिन्हा को भी दोबारा उपमुख्यमंत्री बनाया गया। शपथ ग्रहण के बाद शुक्रवार को जब मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा हुआ तो सम्राट को गृह मंत्री बनाने की औपचारिक घोषणा हुई। इससे अमित शाह का तारापुर की जनता से किया गया वादा भी पूरा हो गया, जिसमें उन्होंने सम्राट को बड़ा आदमी बनाने की बात कही थी। जेडीयू अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भले ही गृह विभाग सम्राट को दे दिया, लेकिन उन्होंने इसके बदले भाजपा से वित्त विभाग वापस ले लिया है। जेडीयू के सबसे उम्रदराज मंत्री बिजेंद्र यादव को वित्त विभाग की कमान सौंपी गई है। वहीं, गृह विभाग छोड़ने के बावजूद नीतीश ने प्रशासन पर अपनी कुछ पकड़ अभी बनाए रखी है। सामान्य प्रशासन विभाग अब भी मुख्यमंत्री के पास ही है, जिससे आईएएस, आईपीएस समेत अन्य अफसरों के ट्रांसफर का अधिकार नीतीश को ही है।

बिहार के सियासी गलियारों में यह सवाल उठता रहा है कि नीतीश कुमार के बाद एनडीए को कौन लीड करेगा। इस साल विधानसभा चुनाव से पहले चिराग पासवान के नाम की चर्चा चली थी। उन्होंने केंद्र की राजनीति छोड़ बिहार से चुनाव लड़ने की इच्छा भी जाहिर की थी। हालांकि, बाद में उन्होंने इनकार कर दिया और चिराग अब 2030 में बिहार आने की बात कर रहे हैं। उससे पहले वह अपनी पार्टी लोजपा (रामविलास) को यूपी, बंगाल जैसे अन्य राज्यों में विस्तार करके 2030 के विधानसभा चुनाव से पहले बिहार में भी उसे मजबूत करने की रणनीति में जुट गए हैं। जनवरी 2026 में वह बिहार में यात्रा भी निकालने वाले हैं।

हालांकि, चिराग की राह में कई और भी रोड़े हैं। उनकी पार्टी दलित राजनीति पर केंद्रित है। साथ ही, महादलित वर्ग की राजनीति करने वाली हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के सुप्रीमो जीतनराम मांझी के साथ उनके रिश्ते भी उतने प्रखर नहीं हैं। मांझी और चिराग के बीच एनडीए में खटपट की खबरें अक्सर आती रहती हैं। कहा जा रहा है कि एनडीए के अंदर भविष्य में नीतीश के उत्तराधिकारी की रेस में भाजपा से सम्राट और सहयोगी दल से चिराग दो ध्रुव बनकर सामने आ सकते हैं। हालांकि, आने वाले समय में सत्ताधारी गठबंधन की राजनीति कैसे बदलेगी, इस पर सारा खेल टिका हुआ है।

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