रायपुर। रावतपुरा मेडिकल कॉलेज रिश्वतकांड में बड़ा कदम उठाते हुए कर्नाटक सरकार ने तीन डॉक्टरों को निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई उस समय हुई जब सीबीआई जांच में यह सामने आया कि डॉक्टरों ने रायपुर स्थित रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च के लिए अनुकूल निरीक्षण रिपोर्ट जारी करने के एवज में रिश्वत ली थी।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, निलंबित डॉक्टरों में डॉ. चैत्रा एम. एस. (एसोसिएट प्रोफेसर, एटाल बिहारी वाजपेयी मेडिकल कॉलेज, बेंगलुरु), डॉ. मंजप्पा सी. एन. (प्रोफेसर और प्रमुख, ऑर्थोपेडिक्स विभाग, मंड्या इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज), और डॉ. अशोक शेलके (असिस्टेंट प्रोफेसर, कम्युनिटी मेडिसिन विभाग, बीदार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज) शामिल हैं।

सीबीआई की जांच में पता चला कि इन डॉक्टरों को 1 जुलाई 2025 को गिरफ्तार किया गया था। आरोप है कि उन्होंने 55 लाख रुपये की रिश्वत लेकर कॉलेज को सकारात्मक निरीक्षण रिपोर्ट दी, ताकि उसे आवश्यक मान्यता और सीट मंजूरी मिल सके। यह रिश्वत लेन-देन मध्यस्थों के जरिए किया गया और पूरी निरीक्षण प्रक्रिया को प्रभावित कर रिकॉर्ड फर्जी तरीके से तैयार किए गए।

जांच में यह भी खुलासा हुआ कि निरीक्षण कार्यक्रम और मूल्यांकनकर्ताओं की जानकारी पहले ही कॉलेज प्रबंधन तक पहुंचा दी गई थी। इससे संस्थान ने मानकों को पूरा करने का दिखावा कर लिया। इस घोटाले में स्वास्थ्य मंत्रालय, नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) और अन्य कई लोगों की संलिप्तता भी सामने आई है।

कुल मिलाकर इस भ्रष्टाचार कांड में 34 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, जिसमें यह तीन डॉक्टर सबसे पहले गिरफ्तार किए गए थे। फिलहाल मामला गंभीर जांच के अधीन है और आगे और भी नाम सामने आने की संभावना है।

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