

Stepped Gull Spotted होने की खबर ने छत्तीसगढ़ के पक्षी प्रेमियों और वन्यजीव शोधकर्ताओं को खासा उत्साहित कर दिया है। खैरागढ़ स्थित रूसे जलाशय में पांच साल बाद एक बार फिर दुर्लभ शीतकालीन प्रवासी पक्षी ‘स्टेप गल’ (Larus fuscus barbadensis) दिखाई दी है। यह अवलोकन मध्य भारत में पक्षी विविधता के लिहाज से एक महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जा रहा है।
अटावी फाउंडेशन द्वारा आयोजित बर्ड वॉक के दौरान यह अहम खोज दर्ज की गई। विशेषज्ञों के अनुसार स्टेप गल लेसर ब्लैक बैक्ड गल की एक दुर्लभ उपप्रजाति है, जो सर्दियों में ही भारत के कुछ चुनिंदा इलाकों में नजर आती है। रूसे जलाशय पहले से ही कॉमन क्रेन और यूरेशियन स्पूनबिल जैसे प्रवासी पक्षियों के लिए जाना जाता रहा है, लेकिन Stepped Gull Spotted होना इसकी पारिस्थितिक अहमियत को और मजबूत करता है।
14 दिसंबर को आयोजित इस बर्ड वॉक में मात्र दो घंटों के भीतर 51 पक्षी प्रजातियों का रिकॉर्ड दर्ज किया गया। इस दौरान एक अन्य प्रवासी पक्षी सैंड मार्टिन की भी पुष्टि हुई। कार्यक्रम का मार्गदर्शन बीएनएचएस प्रमाणित फील्ड ऑर्निथोलॉजिस्ट प्रतीक ठाकुर ने किया, जबकि प्रतिभागियों में डॉ. दनेश सिन्हा, योगेन्द्र साहू और सोमेन्द्र साहू शामिल रहे।
स्टेप गल का यह रिकॉर्ड इसलिए भी खास है क्योंकि इससे पहले 2019 में भिलाई और 2020 में रायपुर में इसके दर्शन हुए थे। अब 2025 में रूसे जलाशय में इसकी वापसी ने विशेषज्ञों को रोमांचित कर दिया है। यह सिर्फ एक पक्षी का दिखना नहीं, बल्कि क्षेत्र के स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र का संकेत है।
विशेषज्ञों ने स्टेप गल की पहचान हल्की इनर प्राइमरी विंडो, मजबूत विंगबार्स, सेकेंड जनरेशन मीडियन कवरट्स, हल्के भूरे पंख, गहरी पतली चोंच और धारीदार सिर जैसे लक्षणों के आधार पर की। Stepped Gull Spotted होने की यह घटना छत्तीसगढ़ के बर्ड साइंस के लिए एक मूल्यवान उपलब्धि मानी जा रही है।




















