

बलरामपुर। आदिवासियों के पारंपरिक सामाजिक, धार्मिक एवं न्यायिक संगठन राजी पड़हा, भारत का पुनर्गठन निर्धारित प्रक्रिया एवं सर्वसम्मति के साथ सम्पन्न हुआ। इस संबंध में विगत 28 सितंबर 2025 को नई रोहतासगढ़ बीर भूमि सरना शक्ति पाठ, परसापानी में बैठक आयोजित की गई थी, जिसमें दो राजी पड़हा को एकीकृत कर एक राजी पड़हा, भारत के गठन का निर्णय लिया गया। बैठक में दोनों राजी कहतो धीरजन लकड़ा एवं सुखदेव भगत की उपस्थिति में सर्वसम्मति से दोनों संगठनों के पूर्व पदाधिकारियों को भंग करते हुए पुनर्गठन की जिम्मेदारी इन्हीं दोनों को सौंपी गई।
निर्णय के अनुरूप 23 दिसंबर 2025 (मंगलवार) को छत्तीसगढ़, उड़ीसा, झारखण्ड, बंगाल, असम, बिहार, मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यों से पादा पड़हा के सामाजिक पदाधिकारियों की उपस्थिति में राजी पड़हा, भारत का पुनर्गठन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन मुख्यालय नई रोहतासगढ़ बीर भूमि सरना शक्ति पाठ, परसापानी, विकासखंड राजपुर, जिला बलरामपुर में हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न हुआ, जहाँ विभिन्न पदों पर मनोनयन कर नई कार्यकारिणी गठित की गई।

नवगठित पदाधिकारी (संक्षेप में):
राजी बेल: बागी लकड़ा (उड़ीसा)
राजी देवान विनोद भगत (छत्तीसगढ़)
राजी कोतवार: केप्टन लोहरा (झारखण्ड)
राजी रकमउर्बस: परशुराम भगत (छत्तीसगढ़)
राजी कहतो: सुशील उरांव (झारखण्ड)
राजी करठा: धीरजन लकड़ा (छत्तीसगढ़)
राजी पंच: शुभचन्द उरांव (बिहार), राजू केरकेट्टा (असम)
राजी उपदेवान: सुनील उरांव (असम), फौउदा उरांव (झारखण्ड), विरूवा उरांव (उड़ीसा), परमेश्वर उरांव (छत्तीसगढ़), लखन मिंज (बिहार), जयराम उरांव (बंगाल)
राजी सलाहकार: बुद्धसाय भगत (छ.ग.), सकीला खलखो (उड़ीसा), रोपना बेक (बंगाल), सुखदेव भगत (म.प्र.), जयचन्द भगत (छ.ग.), रामचन्द्र निकुंज (छ.ग.), बंधू उरांव (उड़ीसा)
राजी परामर्शदात्री समिति: अध्यक्ष – बृजमोहन टोप्पो; सदस्य – महाबीर भगत, कृतनारायण उरांव, श्री बीरबल उरांव, मंगलसाय भगत
रानी सिंघी दाई भारत: अध्यक्ष – मनु लकड़ा (उड़ीसा); उपाध्यक्ष – मालोती टोप्पो (बंगाल); सदस्य – विनिता तिर्की (छ.ग.), मनियो बड़ा (असम)

नवगठित पदाधिकारियों का शपथ ग्रहण 24 दिसंबर 2025 को राजी पड़हा, भारत कार्यालय, नई रोहतासगढ़ बीर भूमि सरना शक्ति पाठ, परसापानी में पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ सम्पन्न हुआ। समारोह में पं. बंगाल, छत्तीसगढ़, उड़ीसा सहित विभिन्न राज्यों से आए पादा पड़हा के प्रतिनिधि, सामाजिक पदाधिकारी एवं बड़ी संख्या में ग्रामीणजन उपस्थित रहे।कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने आदिवासी समाज की एकता, परंपराओं के संरक्षण, सामाजिक न्याय और सांस्कृतिक सशक्तिकरण पर बल देते हुए राजी पड़हा, भारत के पुनर्गठन को ऐतिहासिक कदम बताया।






















