डोंगरगढ़। छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध मां बमलेश्वरी मंदिर में नवरात्र के दौरान हुई एक दुखद घटना ने पूरे क्षेत्र को झकझोर दिया है। मंदिर के ऊपर स्थित ज्योति कलश कक्ष में ड्यूटी कर रहे शीतल मंडावी (38 वर्ष) नामक आदिवासी युवक की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। वह हर साल नवरात्र में ज्योति कलशों की देखरेख करने वाली टीम का हिस्सा रहते थे और इस बार भी नौ दिनों की ड्यूटी पर तैनात थे।

मिली जानकारी के अनुसार, 30 सितंबर की रात करीब 2 बजे शीतल की तबीयत अचानक बिगड़ गई और वह वहीं बेहोश हो गया। बताया जाता है कि ज्योति कक्ष में लगातार जलते हजारों कलशों से उठने वाले धुएं और गर्मी के कारण उसे सांस लेने में दिक्कत हुई। सवाल यह उठ रहा है कि जब मंदिर में रोपवे (Ropeway) की सुविधा मौजूद थी, तो शीतल को उसी रास्ते से नीचे क्यों नहीं लाया गया? उसे सीढ़ियों के रास्ते उतारा गया, जिससे काफी देर हो गई और तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।

इस घटना के बाद मंदिर ट्रस्ट और पुलिस की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि घटना को कई दिनों तक छिपाने की कोशिश की गई। वहीं ट्रस्ट के मंत्री महेंद्र परिहार ने बताया कि उस समय रोपवे बंद था, इसलिए शीतल को सीढ़ियों से नीचे लाया गया।

इस घटना पर गोंड समाज में भारी आक्रोश है। समाज के लोगों ने शीतल की मौत को मंदिर प्रबंधन की लापरवाही बताया है और उसके परिवार को मुआवजा व पत्नी को मासिक पेंशन देने की मांग की है। समाज ने 2021 के रोपवे हादसे का हवाला देते हुए समान न्याय की मांग की है।

डोंगरगढ़ की यह घटना केवल एक हादसा नहीं, बल्कि यह सवाल उठाती है कि नवरात्र जैसे बड़े आयोजनों में ड्यूटी करने वाले कर्मचारियों की सुरक्षा व्यवस्था कितनी पुख्ता है? श्रद्धालुओं के बीच अब आस्था के साथ-साथ चिंता भी बढ़ गई है।

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