

रायपुर, 19 जुलाई 2025: छत्तीसगढ़ विधानसभा ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए जनविश्वास विधेयक 2025 को ध्वनिमत से पारित कर दिया है। यह विधेयक राज्य में Ease of Doing Business और Ease of Living को बढ़ावा देने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। इसके तहत अब नागरिकों और व्यापारियों की छोटी-मोटी तकनीकी गलतियों को आपराधिक दायरे से बाहर निकालकर केवल आर्थिक दंड के दायरे में लाया जाएगा।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस विधेयक को विकसित भारत और विकसित छत्तीसगढ़ के निर्माण की दिशा में एक मजबूत पहल बताया। उन्होंने कहा कि यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के न्याय संहिता के आदर्शों के अनुरूप है, जो नागरिकों और उद्यमियों का विश्वास बढ़ाएगा तथा निवेश और व्यापार को सुगम बनाएगा।
इस विधेयक के अंतर्गत राज्य के 8 प्रमुख अधिनियमों में कुल 163 प्रावधानों में संशोधन किया गया है, जिनमें नगरीय प्रशासन अधिनियम, सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, औद्योगिक संबंध अधिनियम और सहकारिता अधिनियम प्रमुख हैं। अब तकनीकी त्रुटियों के लिए मुकदमेबाजी नहीं होगी, बल्कि आर्थिक दंड लगेगा।
उदाहरण के तौर पर, मकान मालिक द्वारा किराया बढ़ाने की सूचना न देने पर अब केवल ₹1000 तक का जुर्माना होगा, जबकि पहले आपराधिक मामला बनता था। सोसायटी की वार्षिक रिपोर्ट देर से दाखिल करने पर भी आर्थिक दंड लगेगा, जबकि महिला स्वसहायता समूहों के लिए ये दंड और भी कम रखे गए हैं।
इसके अलावा छत्तीसगढ़ आबकारी अधिनियम में भी संशोधन किया गया है। अब सार्वजनिक जगह शराब पीने पर पहली बार केवल जुर्माना लगेगा, पुनरावृत्ति पर जुर्माने के साथ कारावास की सजा हो सकती है। यह नीति सख्ती और संवेदनशीलता का संतुलन दर्शाती है।





















