कोरबा। छत्तीसगढ़ कोरबा जिले में साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) की खदान से जुड़े विवाद में एक गंभीर मामला सामने आया है। जानकारी के अनुसार, खदान से जुड़े कार्यों में लगी निजी कंपनी नीलकंठ द्वारा ग्रामीणों पर दबाव बनाने के लिए महिला बाउंसरों का सहारा लिया जा रहा है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि कंपनी की ओर से भेजी गई इन महिला बाउंसरों ने न केवल उनसे अभद्र व्यवहार किया बल्कि धक्का-मुक्की कर विरोध की आवाज़ दबाने का प्रयास भी किया।

ग्रामीणों का कहना है कि कंपनी द्वारा लगातार उन्हें शिक्षित (शोषित) और परेशान किया जा रहा है। खदान से प्रभावित लोग पहले से ही भूमि अधिग्रहण, मुआवजा और रोजगार की समस्याओं से जूझ रहे हैं, वहीं अब उन्हें डराने-धमकाने के लिए महिला बाउंसरों का प्रयोग किया जा रहा है। खासकर ग्रामीण महिलाओं के विरोध को दबाने के लिए इस तरीके का इस्तेमाल किया जा रहा है।

स्थानीय लोगों ने बताया कि ग्रामीणों के शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के दौरान महिला बाउंसरों ने बदसलूकी की, जिससे क्षेत्र में तनाव का माहौल बन गया। ग्रामीणों का आरोप है कि नीलकंठ कंपनी प्रशासन और स्थानीय पुलिस की अनदेखी का फायदा उठाकर दबंगई दिखा रही है।ग्रामीण संगठनों ने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बताते हुए कड़ा विरोध दर्ज कराया है। उनका कहना है कि खदान प्रभावित लोगों की समस्याओं का समाधान संवाद और न्यायपूर्ण मुआवजे से होना चाहिए, न कि डर और धमकी से।अब सवाल यह उठ रहा है कि एसईसीएल जैसी सरकारी कंपनी की खदानों में काम करने वाली निजी कंपनियों को इतना हक किसने दिया कि वे बाउंसरों के सहारे ग्रामीणों की आवाज़ दबाने का प्रयास करें? ग्रामीणों ने प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हो।

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