
नई दिल्ली: भारत की राष्ट्रपति ने केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के उपराज्यपाल पद से ब्रिगेडियर (डॉ.) बी. डी. मिश्रा (सेवानिवृत्त) का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है।
भारत की राष्ट्रपति निम्नलिखित राज्यपाल/उपराज्यपाल की नियुक्तियाँ भी करते हैं:-
(i) आशिम कुमार घोष को हरियाणा का राज्यपाल नियुक्त किया गया।
(ii) पुसापति अशोक गजपति राजू को गोवा का राज्यपाल नियुक्त किया गया।
(iii) कविन्द्र गुप्ता को लद्दाख का उपराज्यपाल नियुक्त किया गया।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज सोमवार को हरियाणा-गोवा के लिए नए राज्यपालों और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के लिए नए उपराज्यपाल की घोषणा की है। राष्ट्रपति भवन द्वारा जारी बयान के मुताबिक प्रोफेसर असीम घोष को हरियाणा का राज्यपाल बनाया गया है, जबकि पूर्व केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री पुसापति अशोक गजपति राजू को गोवा का राज्यपाल नियुक्त किया गया है। वहीं जम्मू-कश्मीर के पूर्व उपमुख्यमंत्री कविंदर गुप्ता को लद्दाख का नया उपराज्यपाल नियुक्त किया गया है। इन सभी नियुक्तियों की तिथि उनके संबंधित पदों का कार्यभार ग्रहण करने के दिन से प्रभावी होगी।
वहीं राष्ट्रपति ने लद्दाख के वर्तमान उपराज्यपाल ब्रिगेडियर बी.डी. मिश्रा (सेवानिवृत्त) का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है, जिसके बाद कविंदर गुप्ता इस पद की जिम्मेदारी संभालेंगे। कविंदर गुप्ता भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। वे महबूबा मुफ्ती की अगुवाई वाली पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार में जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। इससे पहले वे तीन बार जम्मू नगर निगम के मेयर (2005–2010) भी रहे। 2 दिसंबर 1959 को जन्मे कविंदर गुप्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से मात्र 13 वर्ष की आयु में जुड़ गए थे।
हरियाणा के नए राज्यपाल प्रोफेसर असीम घोष शिक्षाविद और राजनीतिज्ञ दोनों हैं। वे राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर रहे हैं और 1991 में भाजपा में शामिल हुए थे। वे 1999 से 2002 तक पश्चिम बंगाल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे, और 2003 में उन्हें त्रिपुरा के लिए भाजपा का पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया था।
गोवा के नए राज्यपाल पुसापति अशोक गजपति राजू वरिष्ठ राजनेता हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री रह चुके हैं। 26 जून 1951 को चेन्नई में जन्मे गजपति राजू आंध्र प्रदेश सरकार में चार बार मंत्री रहे। 2018 में उन्हें केंद्रीय गृह मंत्रालय की स्थायी समिति का सदस्य भी बनाया गया था।
इन तीनों नई नियुक्तियों को प्रशासनिक अनुभव, राजनीतिक समझ और संगठनात्मक मजबूती के रूप में देखा जा रहा है, जिससे संबंधित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश को नई दिशा और ऊर्जा मिलने की उम्मीद है