पटना : बिहार की राजनीति में प्रशांत किशोर की एंट्री ने अब नया मोड़ ले लिया है। पिछले दो सालों से ‘जन सुराज’ पदयात्रा के माध्यम से बिहार में घूम-घूम कर जनता से जुड़ रहे प्रशांत किशोर ने आखिरकार चुनावी मैदान में उतरने की घोषणा कर दी है। उन्होंने रोहतास जिले की करगहर विधानसभा सीट को अपनी कर्मभूमि और जन्मभूमि बताते हुए यहां से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।

करगहर सीट का चुनावी गणित

करगहर विधानसभा क्षेत्र बिहार के 243 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है और यह सासाराम (SC) संसदीय सीट के अंतर्गत आता है। यह एक सामान्य श्रेणी की विधानसभा सीट है, जो मुख्य रूप से ब्राह्मण बहुल मानी जाती है। 2020 के विधानसभा चुनाव के अनुसार, इस सीट पर कुल 3,24,906 मतदाता थे।

2020 के चुनाव में, कांग्रेस के संतोष कुमार मिश्रा ने इस सीट पर जीत हासिल की थी, जबकि जेडीयू के वशिष्ठ सिंह दूसरे स्थान पर रहे थे। इस सीट पर बसपा के उदय प्रताप सिंह और लोजपा के राकेश कुमार सिंह ने भी अच्छी टक्कर दी थी। यह मुकाबला काफी त्रिकोणीय रहा था, जिसमें सभी प्रमुख दलों के उम्मीदवारों ने बड़ी संख्या में वोट हासिल किए थे।

विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया

प्रशांत किशोर के इस ऐलान के बाद अन्य राजनीतिक दलों की तरफ से तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा कि प्रशांत किशोर की भूमिका ‘वोटकटवा’ की होगी और उन्हें अपनी जमानत बचाने के लिए कड़ी चुनौती मिलेगी। उन्होंने कहा कि यह सीट प्रशांत किशोर के लिए आसान नहीं होगी।

इसी तरह, कांग्रेस प्रवक्ता असित नाथ तिवारी ने कहा कि प्रशांत किशोर का हश्र भी आनंद मोहन जैसा ही होगा, जिन्हें पहले ऐसे प्रयोगों में मुंह की खानी पड़ी थी। उन्होंने कहा कि प्रशांत किशोर के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपनी ही जमानत बचाने की होगी।

प्रशांत किशोर का तर्क

इन आरोपों पर प्रशांत किशोर ने जवाब देते हुए कहा कि सभी लोगों को दो जगहों से चुनाव लड़ना चाहिए—एक कर्मभूमि और दूसरी जन्मभूमि। करगहर उनकी जन्मभूमि है और इसीलिए उन्होंने इस सीट को चुना है। प्रशांत किशोर पहले ही यह साफ कर चुके हैं कि उनकी पार्टी ‘जन सुराज’ बिहार की सभी 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जो बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में एक बड़ा बदलाव ला सकता है।

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