नई दिल्ली: रक्षा मंत्रालय ने आज कहा कि ऑपरेशन सिंदूर भारत के रक्षा सिद्धांत में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ- जिसमें तीनों सेनाओं के बीच तालमेल, रणनीतिक गहराई और तकनीकी प्रभुत्व का प्रदर्शन किया गया। पहलगाम आतंकी हमले के बाद शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर ने सटीकता, व्यावसायिकता और उद्देश्य के साथ तीनों सेनाओं की संतुलित प्रतिक्रिया को प्रदर्शित किया। मंत्रालय ने कहा कि ऑपरेशन की परिकल्पना नियंत्रण रेखा के पार और पाकिस्तान के अंदर तक आतंकी ढांचे को नष्ट करने के लिए एक दंडात्मक और लक्षित अभियान के रूप में की गई थी।

 भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान में आतंकी ढाँचे के खिलाफ़ सटीक हमले करने में अहम भूमिका निभाई। इसने नूर खान एयर बेस और रहीमयार खान एयर बेस जैसे ठिकानों पर उच्च प्रभाव वाले हवाई अभियान चलाए। स्वदेशी रूप से विकसित आकाश सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली और पिछोरा और ओएसए-एके जैसे विरासती प्लेटफ़ॉर्म को एक स्तरित रक्षा ग्रिड में प्रभावी ढंग से तैनात किया गया था। सेना की वायु रक्षा इकाइयों ने वायुसेना के साथ मिलकर काम किया, जिसमें कंधे से दागे जाने वाले MANPADS और LLAD गन से लेकर लंबी दूरी की SAM तक की कई तरह की प्रणालियाँ तैनात की गईं। नौसेना ने मिग-29K लड़ाकू विमानों और हवाई प्रारंभिक चेतावनी हेलीकॉप्टरों से लैस अपने कैरियर बैटल ग्रुप को तैनात किया। इसने समुद्री क्षेत्र में खतरों की निरंतर निगरानी और वास्तविक समय पर पहचान सुनिश्चित की।

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