बलरामपुर: बलरामपुर जिले के राजपुर गेउर हरितिमा परिसर में रजत जयंती वर्ष 2025-26 के उपलक्ष्य में वन मंडल स्तरीय वैद्य सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों से आए पारंपरिक वैद्य एवं जड़ी-बूटी विशेषज्ञों ने भाग लिया। इस दौरान प्रतिभागियों को आयुर्वेदिक औषधियों, जंगलों में पाई जाने वाली दुर्लभ वनस्पतियों और उनके औषधीय उपयोगों का अवलोकन कराया गया।

वैद्यों ने बताया कि हमारी वन संपदा में ऐसी कई जड़ी-बूटियां उपलब्ध हैं, जिनसे कैंसर, टीबी, गठिया, ब्लड प्रेशर जैसी गंभीर बीमारियों के उपचार में मदद मिलती है। कार्यक्रम में ग्रामीणों और स्वयंसेवकों को इन औषधीय पौधों की पहचान के साथ उनके सुरक्षित उपयोग की जानकारी दी गई। विशेषज्ञों ने बताया कि आधुनिक चिकित्सा के साथ आयुर्वेदिक उपचार का समन्वय गंभीर रोगों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और कई जड़ी-बूटियों पर वैज्ञानिक अनुसंधान भी जारी है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता विधायक उदेश्वरी पैकरा ने की, जबकि वन मंडल अधिकारी आलोक वाजपेयी मुख्य रूप से उपस्थित रहे। इस दौरान एसडीओ आर.एस.एल. श्रीवास्तव, रेंजर महाजन लाल साहू सहित वन विभाग के कई अधिकारी-कर्मचारी, जनप्रतिनिधि और बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे। सभी अतिथियों ने जड़ी-बूटी आधारित परंपरागत चिकित्सा को संरक्षित रखने तथा आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाने की आवश्यकता पर जोर दिया।इस अवसर पर हरितिमा परिसर में 100 पौधों का सामूहिक पौधारोपण भी किया गया। पौधारोपण में जनप्रतिनिधियों, कर्मचारियों और ग्रामीणों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

विधायक उदेश्वरी पैकरा ने अपने संबोधन में कहा कि जड़ी-बूटी आधारित उपचार न केवल हमारी परंपरा है बल्कि वर्तमान समय में इसकी उपयोगिता और भी बढ़ गई है। उन्होंने बताया कि वन विभाग और स्थानीय वैद्य संयुक्त रूप से औषधीय पौधों के संरक्षण और प्रचार-प्रसार के लिए निरंतर कार्य करेंगे।

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