रायपुर: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार के दो वर्ष पूर्ण होने पर श्रम विभाग ने निर्माण श्रमिकों और उनके आश्रितों को बड़ा तोहफा दिया है। श्रम विभाग ने प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से 13 श्रमिक कल्याण योजनाओं के तहत कुल 21,209 पात्र श्रमिक हितग्राहियों को 20 करोड़ 19 लाख 98 हजार 515 रुपए की सहायता राशि उनके बैंक खातों में अंतरित की है। 
श्रम मंत्री लखन लाल देवांगन के  मार्गदर्शन में भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार मंडल के अध्यक्ष डॉ रामप्रताप सिंह और विभाग के सचिव श्री हिमशिखर गुप्ता एवं अन्य अधिकारियों की मौजूदगी में रायपुर स्थित नवा अटल नगर में आयोजित कार्यक्रम में डीबीटी के माध्यम से उक्त राशि पंजीकृत निर्माण श्रमिकों को पारदर्शी और त्वरित वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने के उद्देश्य से दी गई है। छत्तीसगढ़ सरकार की यह पहल श्रमिक वर्ग के प्रति सरकार की संवेदनशीलता और प्रतिबद्धता का प्रतीक है। 

छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार मंडल की 13 योजनाओं के अंतर्गत राशि का सीधे अंतरण किया गया है, जिसमें दीदी ई-रिक्शा सहायता योजना से 13 लाभार्थियों को 13 लाख रुपए, निर्माणी श्रमिकों के बच्चे हेतु उत्कृष्ट खेल प्रोत्साहन योजना से एक लाभार्थी को 5 हजार रुपए, मिनीमाता महतारी जतन योजना के 2815 लाभार्थियों को 5 करोड़ 63 लाख रुपए, मुख्यमंत्री निर्माण मजदूर सुरक्षा उपकरण सहायता योजना से 1400 श्रमिकों को 21 लाख रुपए दिए गए। इसी तरह मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिक आवास सहायता योजना के तहत 45 लाभार्थियों को 45 लाख रुपए, दीर्घायु सहायता योजना से 4 श्रमिकों को 80 हजार रुपए, जबकि मृत्यु एवं दिव्यांग सहायता योजना से 315 श्रमिकों को 3 करोड़ 20 लाख 50 हजार रुपए की मदद दी गई।
मुख्यमंत्री नोनी बाबू मेधावी शिक्षा सहायता योजना में 741 विद्यार्थियों को 64 लाख 14 हजार 420 रुपए, मुख्यमंत्री नोनी सशक्तिकरण सहायता योजना में 2298 लाभार्थियों को 4 करोड़ 59 लाख 60 हजार रुपए, मुख्यमंत्री औजार सहायता योजना में 11,043 श्रमिकों को 3 करोड़ 84 लाख 75 हजार 631 रुपए, मुख्यमंत्री श्रमिक सियान सहायता योजना में 333 वरिष्ठ श्रमिकों को 66 लाख 60 हजार रुपए तथा मुख्यमंत्री सायकल सहायता योजना में 2,201 श्रमिकों को 81 लाख 53 हजार 468 रुपए की सहायता राशि प्रदान की गई।

छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार मंडल की इन योजनाओं के माध्यम से महिला श्रमिकों को स्वरोजगार, मातृत्व सुरक्षा और सामाजिक सशक्तिकरण का अवसर मिला है, वहीं शिक्षा और खेल प्रोत्साहन योजनाओं ने श्रमिक परिवारों के बच्चों को आगे बढ़ने का मौका दिया है। औजार, उपकरण और सायकल सहायता से श्रमिकों की कार्य क्षमता और आवागमन सुविधा बेहतर होगी।

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