रायपुर। रायपुर नवजात चोरी मामला लगभग 10 महीने बाद अपने अंतिम निष्कर्ष पर पहुंच गया है। मौदहापारा थाना क्षेत्र स्थित आंबेडकर अस्पताल से नवजात बच्ची चोरी करने के आरोप में कोर्ट ने मां-बेटी को कठोर सजा सुनाई है। अपर सत्र न्यायाधीश बृजेश राय की अदालत ने आरोपी रानी साहू और उसकी बेटी पायल को 10-10 साल का कारावास दिया, जबकि मामले में शामिल युवक को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया गया।

अतिरिक्त लोक अभियोजक जानकी बिल्थरे के अनुसार, दोनों महिलाओं की पहचान अस्पताल में लगे सीसीटीवी फुटेज से पक्की हुई थी। केस डायरी में दर्ज जानकारी के मुताबिक, नीता रात्रे तीन जनवरी को अस्पताल में भर्ती हुई थीं, जहां उनकी देखभाल के लिए उनकी सास भी मौजूद थीं। इसी दौरान रानी और पायल ने अस्पताल में संदिग्ध ढंग से घूमते हुए नीता और उनकी सास से घुल-मिलकर विश्वास जीत लिया।

जच्चा-बच्चा वार्ड में मौजूद अन्य महिलाओं ने बताया कि दोनों आरोपी सहानुभूति बटोरते हुए नीता के परिवार के करीब आती रहीं। रानी ने झूठा बहाना बनाकर बताया कि उसकी बहू का ऑपरेशन हुआ है और नवजात की मौत हो गई, जिससे नीता की सास का भरोसा बढ़ गया। अगले दिन, जब नीता और उनकी सास लंच के बाद हाथ धोने बाहर गईं, तभी दोनों ने मौका पाकर बच्ची को चोरी कर लिया।

घटना की सूचना मिलते ही पुलिस और क्राइम ब्रांच की टीमों ने तेजी से कार्रवाई की। जांच में पता चला कि रानी पहले भी अपनी बेटी को प्रयागराज में 50 हजार रुपये में बेच चुकी थी। पैसों के लालच में वे इस नवजात को भी किसी दंपत्ति को बेचने वाली थीं। पुलिस ने दोनों को बिलासपुर जाने वाली लोकल ट्रेन से पकड़कर गिरफ्तार किया।

Leave a reply

Please enter your name here
Please enter your comment!