रायपुर:  छत्तीसगढ़ के सुदूर वनांचल क्षेत्र नारायणपुर जिले के ग्राम कुंदला स्थित आंगनबाड़ी केन्द्र आज बाल शिक्षा और सर्वांगीण विकास की नई मिसाल बन गया है। यहाँ नन्हें बच्चों की हँसी और सीखने की लय ने पूरे गाँव के माहौल को जीवंत कर दिया है।

हर सुबह जब सूरज की किरणें गाँव की गलियों में उतरती हैं, तो आंगनबाड़ी केन्द्र के द्वार पर बच्चों के कदमों की आहट सुनाई देती है। पाँच वर्ष की मनीषा कुमेटी और अंकुश पोयाम जैसे बच्चे स्लेट-चॉक लेकर उत्साह से केन्द्र पहुँचते हैं। यहाँ कार्यकर्ता उन्हें खेल-खेल में अक्षर, गिनती और रंगों की पहचान सिखाते हैं। “एक, दो, तीन” की गूंज और बच्चों की हँसी से पूरा केन्द्र आनंदित रहता है।

यह केन्द्र केवल शिक्षण का माध्यम नहीं, बल्कि अनुशासन, सहयोग, सम्मान और आत्मविश्वास जैसी मानवीय मूल्यों का पाठ भी पढ़ा रहा है। पहले जहाँ बच्चे विद्यालय आने से झिझकते थे, अब वे स्वयं उत्साह से भाग लेते हैं। माता-पिता भी बच्चों की प्रगति पर गर्व महसूस कर रहे हैं।
आंगनबाड़ी केन्द्र कुंदला में हो रहे नवाचारों ने यह सिद्ध कर दिया है कि प्रारंभिक बाल शिक्षा की सशक्त नींव गाँवों से ही रखी जा सकती है। यह केन्द्र बाल शिक्षा, पोषण और सामाजिक विकास का प्रेरक उदाहरण बनकर उभरा है।

महिला एवं बाल विकास मंत्री  लक्ष्मी राजवाड़े ने कहा कि राज्य सरकार का लक्ष्य है कि हर बच्चे तक गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक शिक्षा और पोषण सेवाएँ पहुँचें। कुंदला जैसे केन्द्रों की उपलब्धियाँ यही दिखाती हैं कि आंगनबाड़ी अब सचमुच “बच्चों की पहली पाठशाला” बन रही हैं।

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