नियमों को ताक पर रखकर निकलती है ओवरलोड तेंदूपत्ता पिकअप

बलरामपुर/शंकरगढ़। वन संपदा से समृद्ध शंकरगढ़ क्षेत्र में वनोपज संग्रहण का कार्य तेज़ी से चल रहा है। इसी क्रम में प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति मर्यादित, शंकरगढ़ के अंतर्गत तेंदूपत्ता संग्रहण और परिवहन कार्य किया जा रहा है। लेकिन चिंता की बात यह है कि इस कार्यालय के संचालन में नियमों को खुलकर दरकिनार किया जा रहा है। समिति से नियमित रूप से ओवरलोड पिकअप वाहन तेंदूपत्ता लेकर निकलते देखे जा सकते हैं, जो न केवल परिवहन नियमों का उल्लंघन है, बल्कि मजदूरों व राहगीरों की सुरक्षा के लिए भी खतरा बनते जा रहे हैं।सबसे हैरानी की बात यह है कि यह सब कुछ शासकीय कार्यालय के सामने हो रहा है, फिर भी जिम्मेदार अधिकारी आंख मूंदे बैठे हैं।


किसकी अनुमति से खड़ी हैं ओवरलोड वाहन ?

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि शासकीय कार्यालय परिसर में ही ओवरलोड पिकअप खड़ी हैं, जिसमें तेंदूपत्ता लोड है।और न तो कोई मना करता है, न कोई निरीक्षण होता है। प्रबंधक से पूछने पर उसने बताया कि ये तेंदूपत्ता मनोहरपुर से लोड कर के कार्यालय में खड़ा किया गया है। कार्यालय से मनोहरपुर की दूरी लगभग 15 किलोमीटर है। बड़ा सवाल यह है कि इस बीच रास्ते में कोई अप्रिय घटना घटित हुई होती तो इसका जिम्मेदार कौन होता ? बड़ा सवाल बनकर खड़ा है कि क्या इन वाहनों को विभागीय परमिशन मिली है, या फिर यह अंदरूनी मिलीभगत का परिणाम है?

क्या कहता है नियम?

वनोपज परिवहन के लिए शासन द्वारा स्पष्ट दिशा-निर्देश तय किए गए हैं। तेंदूपत्ता का परिवहन निर्धारित मात्रा और मानकों के अनुरूप ही किया जाना चाहिए। पत्तों को समुचित रूप से बंडल में पैक कर, वजन के अनुसार पिकअप या ट्रक में लोड किया जाना चाहिए। भारतीय मोटरयान अधिनियम के तहत किसी भी वाहन को उसकी निर्धारित लोडिंग क्षमता से अधिक माल ले जाने की अनुमति नहीं है।

तेंदूपत्ता का किसी भी प्रकार का परिवहन बिना परिवहन अनुज्ञा-पत्र (Transport Permit) के अवैध है। परमिट संबंधित वन परिक्षेत्र अधिकारी या समिति द्वारा जारी किया जाता है। पत्तों का ट्रक/पिकअप में ओवरलोडिंग (अधिक बोरा लादना) वर्जित है। वाहन पर फड़ और समिति का नाम, बोरा संख्या अंकित रहना आवश्यक है। परिवहन के दौरान 2% बोरे जांच के लिए खोले जाते हैं। वजन, गुणवत्ता और बोरे की संख्या की पुष्टि की जाती है।

नियमों की खुलेआम अवहेलना

शंकरगढ़ समिति के जिम्मेदारों की अनदेखी और स्थानीय अधिकारियों की उदासीनता के चलते पिकअप वाहन क्षमता से कई गुना अधिक तेंदूपत्ता लादकर बाहर निकलने को कार्यालय परिसर में खड़ी थी। तेंदूपत्ते के बंडल बोरी में भरकर गाड़ी की ऊँचाई से भी ऊपर तक लदे हुए थे, जिससे न तो चालक को ठीक से देख पाने की सुविधा मिलती है और न ही संतुलन बना रह पाता है। कई बार ऐसे वाहन अचानक रुक जाते हैं या पलट जाते हैं जिससे दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन इसके बाद भी जिम्मेदारों ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है।अक्सर देखा गया है कि इन पिकअप गाड़ियों के ऊपर श्रमिक भी बैठे होते हैं, जो कि सीधे उनकी जान से खिलवाड़ है। एक छोटी सी चूक या झटका किसी बड़े हादसे का कारण बन सकता है।

ओवरलोडिंग पाए जाने पर माल जब्त, चालक और समिति पर कार्रवाई और वन अपराध पंजीबद्ध किया जाना चाहिए। स्थानीय प्रशासन, वन विभाग और समिति प्रबंधन इस गंभीर उल्लंघन पर कब तक मौन साधे रहता है या कानूनी कार्रवाई करता है। क्योंकि यदि इस पर शीघ्र रोक नहीं लगी, तो यह लापरवाही किसी दिन बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है।

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