

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने दुर्ग अपहरण और फिरौती कांड में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अदालत ने नागपुर के चार आरोपियों की अपील खारिज करते हुए निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा है। अब रविंद्र कृष्णा देवांगन, प्रवीन घाटे, संजय धोंगरे और रवि बंसोड़ उम्रकैद की सजा काटेंगे।
यह मामला 13 जुलाई 2015 का है, जब दुर्ग के कारोबारी अमित गोयल को मकान दिखाने के बहाने बुलाकर कार सवार बदमाशों ने अगवा कर लिया था। अपहरणकर्ताओं ने फोन पर 10 लाख रुपए की फिरौती मांगी और रकम न देने पर जान से मारने की धमकी दी। पीड़ित परिवार ने तय रकम का इंतजाम कर अपहरणकर्ताओं को पैसे सौंपे, जिसके बाद अमित गोयल को देर रात उरला रोड पर सुरक्षित छोड़ा गया।
जांच के दौरान पुलिस ने आरोपियों को नागपुर से गिरफ्तार किया और उनके कब्जे से नकदी, सोने के जेवर व अन्य सामान जब्त किया। ट्रायल कोर्ट ने 2019 में चारों आरोपियों को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी, जिसे अब खारिज कर दिया गया।
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच (जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद) ने कहा कि पूरे मामले में अभियोजन ने ठोस सबूत पेश किए। पीड़ित अमित गोयल ने आरोपियों की पहचान और घटनाक्रम विस्तार से बताया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि फिरौती के लिए अपहरण (IPC धारा 364A) एक गंभीर अपराध है और इसकी सजा केवल मृत्यु या उम्रकैद ही हो सकती है। इसलिए किसी भी तरह की राहत आरोपियों को नहीं दी जा सकती।






















