
नई दिल्ली: भारतीय नौसेना ने रविवार को खुलासा किया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान का कराची बंदरगाह और अन्य प्रमुख सैन्य ठिकाने उसकी मारक सीमा में थे। यह ऑपरेशन 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत की समन्वित सैन्य कार्रवाई का हिस्सा था। नौसेना की ओर से यह जानकारी उप एडमिरल ए.एन. प्रमोद, महानिदेशक नौसैनिक संचालन (Director General of Naval Operations) ने सेना और वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक संयुक्त ब्रीफिंग में दी।
उप एडमिरल प्रमोद ने बताया कि भारतीय नौसेना ने अरब सागर में अपनी तैनाती के जरिए पाकिस्तान नौसेना को केवल अपने बंदरगाहों तक ही सीमित रहने या तट के पास ही परिचालन करने को मजबूर कर दिया था। उन्होंने कहा कि नौसेना हमले के 96 घंटे के भीतर पूरी तरह से तैयार हो गई थी और कराची पोर्ट सहित समुद्र और जमीन पर स्थित पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने के लिए तैयार थी, लेकिन अंतिम आदेश की प्रतीक्षा कर रही थी।
उन्होंने बताया कि नौसेना ने युद्धपोतों, पनडुब्बियों और विमानों को त्वरित रूप से युद्ध के लिए तैयार कर लिया था। इस दौरान अरब सागर में कई हथियार अभ्यास भी किए गए ताकि मारक क्षमता और सटीकता को परखा जा सके। पाकिस्तान की नौसेना इस दौरान केवल रक्षात्मक स्थिति में थी और भारतीय निगरानी के घेरे में थी। प्रमोद ने कहा कि भारत की ओर से की गई सैन्य प्रतिक्रिया सोच-समझकर और संतुलित थी, जिसमें सेना, वायुसेना और नौसेना ने मिलकर तालमेल के साथ काम किया। उन्होंने कहा कि भारत की समुद्री श्रेष्ठता और तीनों सेनाओं के संयुक्त प्रयासों ने पाकिस्तान को संघर्षविराम की ओर मजबूर किया।
हालांकि लड़ाई थम चुकी है, लेकिन भारतीय नौसेना किसी भी भविष्य की चुनौती का सामना करने के लिए सतर्क और तैयार है। सेना के संचालक महानिदेशक (Director General of Military Operations) लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने दोहराया कि पाकिस्तान को साफ चेतावनी दी गई है कि अगर उसने फिर कोई उल्लंघन किया, तो भारत की प्रतिक्रिया तेज और निर्णायक होगी। वायुसेना के एयर मार्शल ए.के. भारती ने बताया कि भारतीय वायुसेना ने सटीक हवाई हमलों के जरिए पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इन हमलों में नागरिक इलाकों को नुकसान न पहुंचे, इसका विशेष ध्यान रखा गया, जिससे भारत की रणनीतिक और नैतिक प्रतिबद्धता दोनों स्पष्ट होती है।