सूरजपुर:   महिलाओं के जीवन को स्वस्थ्य, सुरक्षित वातावरण प्रदाय करने तथा सशक्त करते की दिशा में सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीडन (निवारण प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम 2013 का कड़ाई से पालन करने निर्देश दिया गया है। अधिनियम के अंतर्गत 10 या 10 से अधिक श्रमिक कार्यरत होने वाले निजी संस्था, स्थापना में आंतरिक शिकायत समिति गठित किया जाना है। समिति में पीठासीन अधिकारी के रूप में महिला की नियुक्ति किया जाना तथा समिति के आधे सदस्य महिला होना अनिवार्य है। जिस संस्थान में महिला कर्मचारी, श्रमिक कार्यरत नहीं है उस दशा में अन्य विभाग व संस्था के माध्यम से नाम निर्दिष्ट कर समिति गठित किया जायेगा

आंतरिक शिकायत समिति के अनिवार्यता की गंभीरता को देखते हुए कलेक्टर  एस. जयवर्धन के मार्गदर्शन में जिले में आंतरिक शिकायत समिति गठन हेतु आवश्यक सर्वेक्षण कराया गया। सर्वेक्षण उपरांत अधिनियम के दायरे में समाहित होने वाले संस्थानों में से अब तक 28 कार्यस्थल, संस्थानों द्वारा समिति गठित कर आदेश जारी किया गया है। इसी प्रकार अन्य संस्थानों में भी समिति गठन की कार्यवाही के लिए निर्देशित किया जा रहा है। अवगत हो कि अधिनियम के अनुरूप किसी संस्था, कार्यस्थल के द्वारा समिति गठित नहीं किये जाने की दशा में प्रावधानानुसार उस संबंधित संस्था, कार्यस्थल, नियोक्ता के विरुद्ध वैधानिक कार्यवाही करते हुए 50,000 हजार रूपये से दंडित किया जायेगा।

श्रम पदाधिकारी एवं श्रम निरीक्षक द्वारा सूचित किया गया है कि इस समिति के माध्यम से संस्था में कार्यरत महिलाओं के साथ साथ उस संस्था में आये हुए महिलाओं के विरूद्ध किसी प्रकार की अप्रिय घटना होती है, उस स्थिति में पीड़िता अपने शिकायत को उक्त संस्था में गठित आंतरिक शिकायत समिति के समक्ष प्रस्तुत करते हुए जरूरी न्याय की मांग कर सकते है।

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