नई दिल्ली: भारतीय नौसेना आज सोमवार को मुंबई स्थित नौसेना डॉकयार्ड में अपने नए पनडुब्बी रोधी युद्धक उथले जलयान (ASW-SWC) ‘माहे’ को औपचारिक रूप से शामिल करने जा रही है। यह माहे-श्रेणी का पहला युद्धक जहाज है, जिसे पश्चिमी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल कृष्णा स्वामीनाथन की ओर से आयोजित समारोह में थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी की अध्यक्षता में कमीशन किया जाएगा।

‘माहे’ की कमीशनिंग भारतीय नौसेना की शैलो-वॉटर वॉरशिप की नई पीढ़ी की शुरुआत को दर्शाती है। यह जहाज पूरी तरह भारतीय तकनीक पर आधारित है और इसमें 80 प्रतिशत से ज्यादा स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है। यह भारत की बढ़ती आत्मनिर्भरता और समुद्री युद्धक क्षमता को दिखाता है। पश्चिमी समुद्री तट पर यह एक “साइलेंट हंटर” की तरह काम करेगा और भारत की समुद्री सीमाओं की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

इस जहाज का निर्माण कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) ने किया है। आकार में छोटा होने के बावजूद ‘माहे’ काफी शक्तिशाली है और इसकी चपलता, सटीकता के साथ तटीय सुरक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इसे पनडुब्बियों का पता लगाने, तटीय गश्त करने और समुद्री मार्गों को सुरक्षित रखने के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया है। इसका नाम मालाबार तट के ऐतिहासिक शहर ‘माहे’ के नाम पर रखा गया है और इसके शिखर पर ‘उरुमी’ भी अंकित है।

कमांडिंग ऑफिसर ए.सी. चौबे ने समाचार एजेंसी आईएएनएस को बताया कि “यह शैलो वॉटर क्राफ्ट में से पहला है, जिसे सीएसएल ने बनाया और डिजाइन किया है। जहाज में पूरी तरह स्वदेशी हथियार और सेंसर लगे हैं। इसमें नेवल सरफेस गन, स्वदेशी रॉकेट लॉन्चर, टॉरपीडो, डिकॉय सिस्टम और स्टेबलाइज्ड रिमोट-कंट्रोल गन शामिल हैं। सेंसर में उन्नत सोनार सिस्टम और LFVDS तकनीक लगी है।”

वहीं लेफ्टिनेंट कमांडर प्रणश शर्मा ने बताया कि जहाज में लगे 80 प्रतिशत स्वदेशी पार्ट्स भारत की प्रगति का प्रतीक हैं। उन्होंने कहा, “NSG यानी नेवल सरफेस गन समुद्र और हवा—दोनों से आने वाले खतरों को खत्म करने में सक्षम है। L&T का सिस्टम दुश्मन की पनडुब्बियों और उनके टॉरपीडो को न्यूट्रलाइज करने में मदद करता है।” ‘माहे’ के शामिल होने से भारतीय नौसेना की पनडुब्बी-रोधी क्षमता और भी मजबूत हो जाएगी और तटीय सुरक्षा को नया बल मिलेगा।-

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