
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जोर देकर कहा है कि पहलगाम आतंकी हमले के दोषियों और इसकी साजिश रचने वालों को कठोरतम जवाब दिया जाएगा। आकाशवाणी पर मन की बात कार्यक्रम में देश को संबोधित करते हुए श्री मोदी ने इस महीने की 22 तारीख को पहलगाम में हुए आतंकी हमले पर दुख व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि यह हमला आतंकवाद के आकाओं की हताशा और कायरता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि कश्मीर में शांति का लौटना, लोकतंत्र का मजबूत होना और पर्यटकों की संख्या में रिकॉर्ड वृद्धि भारत और जम्मू-कश्मीर के दुश्मनों को रास नहीं आ रही थी। श्री मोदी ने कहा कि आतंकवादियों और आतंक के आकाओं ने कश्मीर को फिर से तबाह करने के लिए यह साजिश रची।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ इस लड़ाई में सबसे बड़ी ताकत देश की एकता और 140 करोड़ भारतीयों की एकजुटता है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ यह एकता ही निर्णायक लड़ाई का आधार है। श्री मोदी ने इस चुनौती का सामना करने के लिए संकल्प को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि एक राष्ट्र के रूप में हमें दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रदर्शन करना होगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आंतकी हमले के बाद पूरी दुनिया से संवेदनाएं आ रही हैं। उन्होंने कहा कि वैश्विक नेताओं में उन्हें फोन कर और पत्र लिखकर इस जघन्य आतंकी हमले की कड़ी निंदा की है। श्री मोदी ने कहा कि आंतकवाद के खिलाफ देश की लड़ाई में पूरा विश्व 140 करोड़ भारतीयों के साथ खड़ा है। उन्होंने पीड़ित परिवारों को भरोसा दिलाया कि उन्हें न्याय मिलेगा।
प्रधानमंत्री ने डॉ. के कस्तूरीरंगन को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि देश ने एक महान वैज्ञानिक खो दिया है। दो दिन पहले डॉ. कस्तूरीरंगन का निधन हो गया था। श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि विज्ञान, शिक्षा और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊंचाईयों तक पहुंचाने में उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।
उन्होंने कहा कि डॉ. कस्तूरीरंगन के नेतृत्व में इसरो को एक नई पहचान मिली और उनके मार्गदर्शन में जो अंतरिक्ष कार्यक्रम आगे बढ़े उनसे भारत के प्रयासों को वैश्विक स्तर पर मान्यता मिली। भारत आज जिन उग्रहों का इस्तेमाल करता है उनका प्रक्षेपण डॉ. कस्तूरीरंगन की देख-रेख में ही किया गया था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि डॉ. कस्तूरीरंगन ने हमेशा ही नवाचार को महत्व दिया। उन्होंने देश की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति तैयार करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
श्री मोदी ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि इस वर्ष अप्रैल में आर्यभट्ट उपग्रह के प्रक्षेपण के 50 वर्ष पूरे हो गए हैं। उन्होंने कहा कि 50 वर्ष की यह यात्रा सिर्फ हौसलों से शुरू हुई थी। श्री मोदी ने कहा कि उस समय के युवा वैज्ञानिकों के पास न तो आधुनिक संसाधन थे और न ही दुनिया की प्रौद्योगिकी तक पहुंच थी।
उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक, महत्वपूर्ण उपकरणों को बैलगाडि़यों और साइकिलों पर लेकर जाते थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि उसी लगन और राष्ट्र सेवा की भावना का परिणाम है कि भारत, आज विश्व की एक प्रमुख अंतरिक्ष शक्ति बन चुका है। उन्होंने इस बात पर गौरव व्यक्त किया कि भारत ने एक साथ 104 उपग्रहों का प्रक्षेपण करने का रिकॉर्ड बनाया है।
श्री मोदी ने कहा कि चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला भारत पहला देश है। उन्होंने कहा कि भारत ने मार्स ऑर्बिटर मिशन शुरू किया है और आदित्य एल-वन मिशन के जरिए हम सूर्य के काफी करीब पहुंच गए हैं। आज भारत संपूर्ण विश्व में सबसे किफायती और सफल अंतरिक्ष कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कहा कि विश्व के बहुत से देश अपने उपग्रहों और अंतरिक्ष मिशनों के लिए इसरो की सहायता लेते हैं। उन्होंने बताया कि पी.एस.एल.वी-सी 23 का प्रक्षेपण देखकर उन्हें गौरव की अनुभूति हुई थी। वर्ष-2019 में चन्द्रयान-2 की लैंडिंग के दौरान भी प्रधानमंत्री बैंगलुरू में इसरो केन्द्र में उपस्थित थे।
श्री मोदी ने कहा कि हालांकि चन्द्रयान का अपेक्षित परिणाम नहीं निकला लेकिन उन्होंने वैज्ञानिकों के धैर्य और कुछ कर गुजरने के जुनून को देखा। उन्होंने कहा कि संपूर्ण विश्व ने देखा कि कैसे उन्हीं वैज्ञानिकों ने चन्द्रयान-3 को सफल करके दिखाया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने निजी क्षेत्र के लिए भी अंतरिक्ष क्षेत्र के दरवाजे खोल दिए हैं। आज बहुत से युवा स्पेस स्टार्ट-अप्स के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं। श्री मोदी ने कहा कि दस वर्ष पहले इस क्षेत्र में केवल एक कंपनी थी और आज देश में सवा तीन सौ से अधिक स्पेस स्टार्ट-अप्स चल रहे हैं।
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भारत नई ऊंचाईओं को छुएगा। देश गगनयान, स्पेडैक्स और चन्द्रयान-4 जैसे कई महत्वपूर्ण मिशनों की तैयारियों में जुटा है। श्री मोदी ने जानकारी दी कि भारत वीनस ऑर्बिटर मिशन और मार्स लैंडर मिशन पर भी काम कर रहा है।
पिछले महीने म्यांया में आए भूकंप का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत ने राहत और बचाव कार्यों के लिए तत्काल ऑपरेशन ब्रह्मा शुरू किया था। उन्होंने बताया कि वायु सेना के विमानों और नौसेना के पोतों के जरिए पड़ोसी देश को हर प्रकार की सहायता भेजी गई।
भारतीय दल ने वहां एक फील्ड अस्पताल बनाया और इंजीनियरों के दल ने महत्वपूर्ण इमारतों और बुनियादी ढांचे को हुए नुकसान का आकलन करने में मदद की। भारतीय दल ने वहां कंबल, टैंट, दवाएं और खाने-पीने का सामान आदि भेजा।
प्रधानमंत्री ने बताया कि इस संकट में साहस, धैर्य और सूझबूझ के कई दिल छू लेने वाले उदाहरण भी सामने आए। भारतीय दल ने 70 वर्ष से अधिक आयु की एक बुजुर्ग महिला को बचाया जो 18 घंटे से अधिक समय तक मलबे के नीचे दबी हुई थी।
भारतीय दल ने हरसंभव चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जिसमें ऑक्सीजन स्तर को सामान्य करने से लेकर फ्रैक्चर का इलाज करना तक शामिल था। श्री मोदी ने कहा कि पीडि़ता ने भारतीय बचाव दल के प्रति आभार प्रकट करते हुए माना कि भारतीय दल के कारण उन्हें एक नया जीवन मिला है।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि बौद्ध मठ में फंसे लोगों को बचाने के बाद भारतीय बचाव दल को बौद्ध भिक्षुओं ने अनंत शुभकामनाएं दीं। श्री मोदी ने कहा कि ऑपरेशन ब्रह्मा में शामिल सभी लोगों के प्रति पूरे देश में गर्व की भावना है। उन्होंने यह भी कहा कि आपदा के समय विश्व-मित्र के रूप में उभरने और मानवता की रक्षा के प्रति भारत की संकल्प अब देश की पहचान बन रहा है।
प्रधानमंत्री ने अफ्रीकी देश इथोपिया में प्रवासी भारतीयों के अभिनव प्रयासों की भी चर्चा की। इन भारतीयों ने जन्म से ही हृदय रोग से जूझ रहे बच्चों को इलाज के लिए भारत भेजा। भारतीय परिवार इनमें से कई बच्चों की आर्थिक रूप से भी मदद कर रहे हैं।
श्री मोदी ने कहा कि प्रवासी भारतीयों के इस नेक काम की इथोपिया में काफी प्रशंसा हो रही है। उन्होंने कहा कि भारत में इलाज की सुविधाएं लगातार बेहतर हो रही हैं और इससे अन्य देशों के नागरिक भी लाभान्वित हो रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ ही दिन पहले भारत ने अफगानिस्तान को बड़ी मात्रा में रैबीज, टिटनेस, हेपिटाइटिस-बी और इंफ्लुएंजा जैसी घातक बीमारियों से बचाव के लिए टीके भेजे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि इस सप्ताह भारत ने नेपाल के अनुरोध पर बड़ी मात्रा में दवाएं और टीके भेजे हैं। इससे थेलेसिमिया और सिकलसेल एनिमिया के बेहतर इलाज में मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि किसी भी प्राकृतिक आपदा से निपटने में जागरूकता सबसे अहम होती है। उन्होंने कहा कि अब बाढ़, चक्रवात, भू-स्खलन, सुनामी, जंगल की आग और हिम-स्खलन जैसी प्राकृतिक आपदा की स्थिति में लोग अपने मोबाइल पर सचेत ऐप की मदद से सहायता प्राप्त कर सकते हैं। इस ऐप को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने विकसित किया है जिसमें क्षेत्रीय भाषाओं में भी सूचना उपलब्ध है।
प्रधानमंत्री ने छत्तीसगढ़ में दंतेवाड़ा के विज्ञान केंद्र की चर्चा की जो पहले हिंसा और अशांति के कारण चर्चा में रहता था लेकिन अब यहां का विज्ञान केंद्र सबका ध्यान खींच रहा है और बच्चों तथा उनके माता-पिता के लिए उम्मीद की नई किरण बन गया है। उन्होंने कहा कि अब इस इलाके के बच्चे थ्री डी प्रिंटर, रोबोटिक कार और अन्य चीजों के बारे में जानने का मौका मिला है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ समय पहले ही उन्होंने गुजरात साइंस सिटी में विज्ञान दीर्घा का उद्घाटन किया था। इस दीर्घा से यह झलक मिलती है कि आधुनिक विज्ञान की क्षमता क्या है और विज्ञान हमारे लिए कितना कुछ कर सकता है। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि बच्चों में इस दीर्घा को लेकर बहुत उत्साह है। श्री मोदी ने विश्वास व्यक्त किया कि विज्ञान और नवाचार के प्रति बढ़ता आकर्षण भारत को नई ऊचाई पर ले जाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस पर एक पेड़ मॉं के नाम अभियान का एक वर्ष पूरा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इस एक वर्ष के दौरान देशभर में मां के नाम पर 140 करोड़ से अधिक पौधे लगाए गए हैं। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त कि की देश के बाहर भी लोगों ने अपनी मॉं के नाम पर पौधे लगाए हैं। श्री मोदी ने देशवासियों से अपील की कि वे भी इस अभियान का हिस्स बनें ताकि एक वर्ष पूरा होने पर अपनी भागीदारी पर गर्व कर सकें।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पेड़ से शीतलता मिलती है और पिछले कुछ वर्षों में गुजरात के अहमदाबाद में 70 लाख से अधिक पौधे लगाए जा चुके हैं। इसके कारण अहमदाबाद का हरित क्षेत्र काफी बड़ा हो गया है। उन्होंने यह भी कहा कि इस इलाके में साबरमती नदी रिवर फ्रंट तथा कांकरिया झील जैसे कुछ झीलों के पुनर्निर्माण से जलाशयों की संख्या भी काफी बढ़ गई है।
श्री मोदी ने कहा कि अहमदाबाद पिछले कुछ वर्षों में ग्लोबल वार्मिंग का मुकाबला करने वाले कुछ प्रमुख शहरों में शामिल हो गया है। उन्होंने देशवासियों से अपील की कि वे अपने बच्चों का भविष्य सुरक्षित करने के लिए पेड़ जरूर लगाएं।
प्रधानमंत्री ने कर्नाटक में सेब उगाए जाने पर आश्चर्य व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि बागलकोट में श्री शैल तेली ने मैदानी इलाकों में 35 डिग्री से अधिक तापमान के बावजूद सेब की पैदावार में सफलता प्राप्त की है। इससे उन्हें अच्छी कमाई भी हो रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के किन्नौर में केसर का उत्पादन शुरू हो गया है जो अब तक केवल सेब के लिए प्रसिद्ध था। उन्होंने केरल के वायनाड का उदाहरण भी दिया जहां केसर के उत्पादन में सफलता मिली है। श्री मोदी ने कहा कि वायनाड में केसर का उत्पादन खेत या मिट्टी में नहीं, बल्कि एयरोपोनिक्स तकनीक से हो रहा है। उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत और राजस्थान में अब लीची भी पैदा की जा रही है।
तमिलनाडु के श्री तिरू वीरा अरासू कॉफी की खेती करते थे। उन्होंने कोडईकनाल में लीची के पौधे लगाए और सात वर्ष बाद इनमें फल आना शुरू हो गया है। श्री मोदी ने कहा कि लीची उत्पादन में मिली सफलता ने इस इलाके के अन्य किसानों को भी प्रेरित किया है। राजस्थान के श्री जितेन्द्र सिंह राणावत भी अब लीची उगा रहे हैं। श्री मोदी ने इन सभी उदाहरणो को प्रेरणादायी बताया।
प्रधानमंत्री ने 1917 में महात्मा गांधी के नेतृत्व में हुए चंपारण सत्याग्रह की चर्चा की। उन्होंने कहा कि 108 वर्ष पहले अप्रैल और मई के महीनों में देश की आजादी की एक अनोखी लड़ाई लड़ी जा रही थी। अंग्रेजी हूकुमत किसानों को बिहार में नील की खेती के लिए बाध्य कर रही थी।
श्री मोदी ने कहा कि चंपारण सत्याग्रह भारत में बापू का पहला बड़ा प्रयोग था और इससे पूरी अंग्रेजी हुकूमत हिल गई। इसके कारण अंग्रेजों को नील की खेती के लिए किसानों को मजबूर करने वाले कानून को स्थगित करना पड़ा।प्रधानमंत्री ने कहा कि इस सत्याग्रह में बिहार की महान विभूति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने काफी योगदान दिया था और वे आजादी के बाद देश के पहले राष्ट्रपति बने थे। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने सत्याग्रह इन चंपारण नामक एक पुस्तक भी लिखी थी जो हर युवा को पढ़नी चाहिए।
श्री मोदी ने यह भी कहा कि अप्रैल महीने के साथ स्वतंत्रता संग्राम के कई अमिट अध्याय जुड़े हैं। गांधी जी की दांडी यात्रा 6 अप्रैल को संपन्न हुई थी। 24 दिन तक चली इस यात्रा ने अंग्रेज सरकार को झकझोर कर रख दिया था। जलियावाला बाग नरसंहार भी अप्रैल के महीने में ही हुआ था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 10 मई को प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की वर्षगांठ मनाई जाएगी। 26 अप्रैल को 1857 की क्रांति के महान नायक बाबू वीर कुंवर सिंह की पुण्यतिथि भी मनाई गई है। श्री मोदी ने कहा कि देश को अपने इन स्वतंत्रता सेनानियों की अमर प्रेरणाओं को जीवित रखना है।