
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर, पंजाब, चंडीगढ़, लद्दाख, राजस्थान और गुजरात जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थित वैज्ञानिक और तकनीकी संस्थानों की सुरक्षा को और मजबूत करने का फैसला किया है। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह निर्णय आज शनिवार को नई दिल्ली में एक उच्चस्तरीय संयुक्त बैठक की अध्यक्षता करने के बाद लिया। बैठक में कई वरिष्ठ अधिकारी और प्रमुख वैज्ञानिक संस्थानों के प्रमुख उपस्थित थे। इस बैठक का उद्देश्य देश के संवेदनशील क्षेत्रों में स्थित वैज्ञानिक परिसरों की सुरक्षा तैयारियों की समीक्षा करना था, जिसमें आंतरिक सुरक्षा और नागरिक प्रशासन के साथ समन्वय पर भी विशेष ध्यान दिया गया।
डॉ. सिंह ने इस दौरान देश के कई प्रमुख वैज्ञानिक संस्थानों की सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की, जिनमें जम्मू स्थित CSIR-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन, चंडीगढ़ के CSIR-सेंट्रल साइंटिफिक इंस्ट्रूमेंट्स ऑर्गनाइजेशन और CSIR-इंस्टिट्यूट ऑफ माइक्रोबियल टेक्नोलॉजी, जालंधर का CLRI, मोहाली स्थित नेशनल एग्री-फूड बायोटेक्नोलॉजी इंस्टिट्यूट (NABI), और लद्दाख में स्थित पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के केंद्र शामिल थे। इसके अलावा, उन्होंने श्रीनगर और लेह में स्थित भारतीय मौसम विभाग (IMD) के केंद्रों की सुरक्षा पर भी विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए। उन्होंने IMD के महानिदेशक को इन केंद्रों की सुरक्षा और निगरानी व्यवस्था को तत्काल प्रभाव से मजबूत करने को कहा। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि देश के ये वैज्ञानिक संस्थान न केवल अनुसंधान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, बल्कि ये आपदा प्रबंधन और राष्ट्रीय आपात स्थितियों में रणनीतिक योगदान भी देते हैं। इसलिए इनकी सुरक्षा एक राष्ट्रीय प्राथमिकता है। उन्होंने सभी वैज्ञानिक विभागों को अपने सुरक्षा प्रोटोकॉल को अद्यतन करने और स्थानीय जिला प्रशासन के साथ लगातार संपर्क बनाए रखने का निर्देश दिया।
इसके अलावा, सभी संस्थानों को निर्देश दिया गया है कि वे आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) को अपडेट करें, मॉक ड्रिल आयोजित करें, और सुरक्षा व निकासी के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाएं। डॉ. सिंह ने यह भी कहा कि वर्तमान हालात को देखते हुए परीक्षाओं और शोध प्रस्तावों की समय-सीमा को कुछ समय के लिए स्थगित किया जा सकता है ताकि प्रभावित छात्र और शोधकर्ता असुविधा से बच सकें। उन्होंने यह भी जोर दिया कि वैज्ञानिक संस्थानों को हर परिस्थिति में तैयार और आत्मविश्वास से भरा रहना चाहिए, और स्थानीय अधिकारियों के साथ निरंतर संवाद बनाए रखना आवश्यक है।