सूरजपुर/दीपेश कुशवाहा : सरगुजा एक बार फिर इतिहास का साक्षी बनने जा रहा है। वर्ष 1952 में देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के आगमन के बाद अब 2025 में वर्तमान राष्ट्रपति  द्रौपदी मुर्मू सरगुजा पहुंचने वाली हैं। इस दौरे ने पूरे आदिवासी समाज में उत्साह भर दिया है, लेकिन सबसे ज्यादा भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ नाम है 80 वर्षीय बसंत पंडो। जिन्होंने देश के पहले राष्ट्रपति से मुलाकात की थी।
  

1952 में सरगुजा दौरे के दौरान देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 06 वर्षीय ‘गोलू’ को गोद में उठाकर उसका नाम ‘बसंत’ रखा था। आज 80 वर्ष के बसंत पंडो उस क्षण को अपने जीवन की सबसे बड़ी स्मृति मानते हैं।अब वे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलकर न सिर्फ पंडो समाज की प्रमुख मुद्दों को बताना चाहते हैं, बल्कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद से जुड़े अपने उस अनमोल अनुभव को भी साझा करना चाहते हैं, जिसे वे आज तक अपने दिल में संजोए हुए हैं।

उल्लेखनीय है कि सूरजपुर में जहां देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद रुके थे उसे ‘राष्ट्रपति भवन’ के रूप में जाना जाता है। पंडो समाज को विश्वास है कि बसंत की यह मुलाकात उनके समुदाय के लिए नए बदलाव की शुरुआत बनेगी।

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