(अभिषेक सोनी) बलरामपुर। छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले से होकर गुजरने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग 343 आज अपने अस्तित्व के संकट से गुजर रहा है। मानसून के सक्रिय होते ही जहां आम जनता ने गर्मी से राहत की सांस ली थी, वहीं इस सड़क की जर्जर हालत और ओवरलोडिंग की मार ने जिले की सड़कों को मौत के फंदे में झोंक दिया है।

बलरामपुर जिले के पस्ता थाना क्षेत्र अंतर्गत सेमर सोत चौक जंगल के पास शुक्रवार को दोपहर लगभग 1 बजे एक बड़ा सड़क हादसा हो गया। नेशनल हाईवे 343 पर गिट्टी से लदा एक ट्राला (वाहन क्रमांक CG30-F-5617) अनियंत्रित होकर अचानक बीच सड़क पर पलट गया। हादसा इतना भीषण था कि देखते ही देखते दोनों ओर से हाईवे पर 3 घंटे का लंबा जाम लग गया और यातायात पूरी तरह से ठप हो गया।हादसे की जानकारी मिलते ही पस्ता थाना प्रभारी विमलेश सिंह अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। यातायात पुलिस भी तत्काल घटनास्थल पर पहुंच गई। ट्राले के पलटने से गढ़वा निवासी खुर्शीद अंसारी पिता शौकत अंसारी और राम परवेश चौबे पिता विनोद चौबे को हल्की चोटें आईं। घायलों को तत्काल 108 एम्बुलेंस की मदद से जिला अस्पताल बलरामपुर भेजा गया, जहां उनका प्राथमिक उपचार किया गया। सौभाग्यवश किसी को गंभीर चोट नहीं आई, जिससे एक बड़ी दुर्घटना टल गई।


रास्ता खोलने के लिए जेसीबी और क्रेन मंगवाया गया, लगभग 3 घंटे रहा NH 343 जाम

प्रशासन द्वारा ट्राले को हटाने के लिए मौके पर जेसीबी और क्रेन मंगवाया गया है।एनएच-343 पर यातायात बाधित होने से यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। बड़ी संख्या में दोपहिया, चारपहिया और मालवाहक वाहन जाम में फंसे हुए थे। ट्राले को हटाने की कोशिशें युद्ध स्तर पर जारी थी।

एनएन रिपेयरिंग के लिए जा रही हाइवा भी फंसी

इस बीच एक अन्य हाईवा वाहन जो एनएन रिपेयरिंग के लिए गिट्टी लेकर जा रही थी, वह भी  लगभ 100 मीटर की दूरी पर  सड़क किनारे बने गड्ढे में फंस गई। इससे हालात और भी बिगड़ गए हैं। संकरे मोड़ और खराब सड़क की वजह से वाहन को निकालने में भी परेशानी का सामना करना पड़ा।


गड्ढों में तब्दील सड़क, खतरे का सफर

अंबिकापुर से पस्ता तक का सफर अब सड़क पर नहीं, गड्ढों और कीचड़ से भरी पगडंडी पर चलने जैसा हो गया है। वाहन चालक खुद यह कहते नजर आ रहे हैं कि अब सड़क में गड्ढे नहीं बल्कि गड्ढों में सड़क ढूंढनी पड़ रही है।एनएच विभाग के द्वारा गुणवत्ता और दीर्घकालिक मरम्मत की कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई। इसका खामियाजा अब आमजनता भुगत रही है।गागर और गेउर नदी की दोनों पुलियों की हालत अत्यंत चिंताजनक है। ना सिर्फ इनके ऊपर गड्ढे गहरे हो चुके हैं, बल्कि रेलिंग टूट चुकी है  जिससे यहां से गुजरना अब किसी जुए से कम नहीं। बारिश, धूल और अंधेरे में हादसे का खतरा और अधिक बढ़ गया है।

ओवरलोडिंग बना जर्जर सड़क की सबसे बड़ी वजह

स्थानीय लोगों ने बताया कि राजपुर से गिट्टी, बालू और अन्य खनिज ले जाने वाली ओवरलोड गाड़ियां सैकड़ों की संख्या में रोजाना गुजरती हैं। क्षमता से अधिक लोडिंग के चलते सड़कों पर बड़े-बड़े गड्ढे बन चुके हैं। विभाग के अफसर इन हालात पर आंखें मूंदे हुए हैं और कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है। आम जनता को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।सड़क की दुर्दशा का सबसे बड़ा कारण ओवरलोडिंग है।अपनी क्षमता के अधिक टन तक माल लादकर चलने वाले ओवरलोड ट्राले, हाइवा और डंपर धीरे-धीरे सड़क को चीरकर खा रहे हैं।विभागीय लापरवाही और परिवहन विभाग की निष्क्रियता के चलते ओवरलोड वाहनों पर कोई लगाम नहीं है।

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