अम्बिकापुर: छत्तीसगढ़ की गौरवशाली संस्कृति, परंपरा और विकास की 25 वर्षों की सुनहरी यात्रा का साक्षी बना राज्योत्सव 2025, जिसका समापन बुधवार की रात रंग, संगीत और लोकधुनों के संग भव्य एवं मनमोहक अंदाज में हुआ। रजत महोत्सव 2025 के अंतर्गत आयोजित तीन दिवसीय राज्योत्सव कार्यक्रम ने शहर को उल्लास, उमंग और लोकसंस्कृति के रंगों से सराबोर कर दिया।कार्यक्रम के अंतिम दिवस पर शहर के कला केंद्र में आयोजित समापन समारोह में जनसमूह की उत्साही उपस्थिति देखने योग्य रही। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में जिला पंचायत अध्यक्ष  निरूपा सिंह, महापौर  मंजूषा भगत, सभापति  हरविंदर सिंह टिन्नी,  आलोक दुबे, जनप्रतिनिधिगण, कलेक्टर  विलास भोसकर, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक  राजेश अग्रवाल, जिला पंचायत सीईओ  विनय कुमार अग्रवाल, अपर कलेक्टर  सुनील नायक,  राम सिंह ठाकुर,  अमृत लाल ध्रुव, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक  अमोलक सिंह ढिल्लों, एसडीएम  फागेश सिंहा, सहित प्रशासनिक अधिकारी, कर्मचारी एवं हजारों की संख्या में आम नागरिक सम्मिलित हुए।मंच पर छत्तीसगढ़ की समृद्ध लोक परंपराओं का अनूठा संगम देखने को मिला। करमा, सरहुल, सैला, सुआ जैसे लोकनृत्य एवं पारंपरिक लोकगीतों की प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
समापन कार्यक्रम की विशेष आकर्षण रही सरगुजा क्षेत्र के सुप्रसिद्ध लोकगायक संजय सुरीला की सुमधुर प्रस्तुति। उनके लोकप्रिय गीत “हाय रे सरगुजा नाचे” की गूंज ने समूचे परिसर को झूमने पर मजबूर कर दिया। मांदर की थाप और लोकसंगीत की लय पर महापौर  मंजूषा

भगत, जनप्रतिनिधिगण एवं अधिकारी स्वयं भी सुर-ताल में झूम उठे। कार्यक्रम स्थल तालियों की गड़गड़ाहट और उत्साहपूर्ण जयघोष से गूंज उठा।राज्योत्सव के अवसर पर तीन दिनों तक पारंपरिक हस्तशिल्प प्रदर्शनी, स्थानीय व्यंजन मेला, विभिन्न  विभागों एवं स्वसहायता समूहों के स्टॉल एवं विविध सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का आयोजन किया गया, जिनमें छत्तीसगढ़ की लोकसंस्कृति, कला और परंपरा की झलक देखने को मिली।

महापौर  मंजूषा भगत ने समापन अवसर पर  बधाई देते हुए कहा कि राज्योत्सव न केवल हमारी सांस्कृतिक धरोहर का उत्सव है, बल्कि यह हमारे विकास और आत्मगौरव की प्रतीक यात्रा है। छत्तीसगढ़ ने 25 वर्षों में जो प्रगति की है, वह हर नागरिक के परिश्रम, समर्पण और एकता का परिणाम है।कार्यक्रम का समापन छत्तीसगढ़ महतारी की जयघोष और आकर्षक आतिशबाजी के बीच हुआ। पूरा समारोह छत्तीसगढ़ की संस्कृति, समृद्धि और एकता का अद्भुत प्रतीक बन गया।

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